अयोध्या को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल कराने की तैयारी कर रहा है अवध विवि

अयोध्या को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल कराने की तैयारी कर रहा है अवध विवि

विश्व धरोहर बनने के दस में से आठ मानको को पूरा करता है अयोध्या

अयोध्या
संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) की विश्व धरोहरों की सूची में ‘अयोध्या’ शामिल हो सकती है। इसके लिए डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य मनोज दीक्षित की ओर से एकेडमिक मुहिम चलाई गई है।
इसी मुहिम के तहत अक्तूबर 2018 में अवध विश्वविद्यालय में एशियन कल्चरल लैंड स्केप एसोसिएशन की तीन दिवसीय अन्तरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया था। पुन: इसके अगले चरण में दो दिवसीय कॉन्क्लेव का आयोजन फरवरी- 2020 में किया जाएगा।

इस कॉन्क्लेव में देश भर के विश्वविद्यालयों के विद्वान अयोध्या के सांस्कृतिक पृष्ठभूमि के संदर्भ में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे। इस बारे में कुलपति प्रो. दीक्षित ने कहा कि दूसरे चरण में यूनेस्को की संस्था आईसीओएमओएस संबंधित मामले में आवश्यक विचार-विमर्श कर अपना मंतव्य प्रस्तुत करती है। उन्होंने बताया कि फरवरी 2020 में कान्क्लेव आईसीओएमओएस के ही सिलसिले में आयोजित की जा रही है। उन्होंने बताया कि अभी तिथि तय नहीं हो पाई है जल्द ही तिथि की घोषणा कर दी जाएगी।


कुलपति का कहना है कि वर्ल्ड हेरिटेज के लिए अयोध्या यूनेस्को की ओर से निर्धारित दस मानकों में से आठ मानकों को पूरा करती है। ऐसे में विश्व धरोहर घोषित होने में कोई अवरोध नहीं है। इसी के चलते प्रयास शुरू किया गया है। इस प्रकरण में राज्य सरकार व भारत सरकार का प्रयास शामिल हो जाएगा तो निश्चित ही सफलता मिलेगी। फिलहाल यूनेस्को की पॉलिसी के अनुसार यहां कार्य प्रगति पर है। कुलपति ने बताया कि वर्ल्ड हेरिटेज के लिए आवश्यक प्रस्ताव बनाने का काम नगर निगम का है। इसके लिए पहले नगर निगम को हेरिटेज सेल गठित करना होगा। उन्होंने बताया कि इस संदर्भ में उनकी वार्ता नगर निगम के आयुक्त नीरज शुक्ल से हो चुकी है। इनटैंजिबिल हेरिटेज भी घोषित कराया जा सकता है। कुलपति के अनुसार अयोध्या को वर्ल्ड हेरिटेज के साथ ही इनटैंजिबिल हेरिटेज भी घोषित कराया जा सकता है।

उन्होंने बताया कि अयोध्या में आयोजित होने वाला सावन झूला मेला अपने आप में यूनीक है। इस प्रकार का आयोजन दूसरे किसी स्थान पर नहीं होता। उन्होंने कहा कि सावन शुक्ल तृतीया से लेकर सावन शुक्ल पूर्णिमा तक करीब 13 दिनों तक चलने वाले इस मेला में जहां देश-विदेश के लाखों श्रद्धालुगण हिस्सा लेते हैं। वहीं दूसरी ओर सभी मंदिरों में भगवान को झूले पर बैठाकर सांस्कृतिक कार्यक्रम का प्रतिदिन आयोजन किया जाता है। इस सांस्कृतिक कार्यक्रम में कथक नृत्य व शास्त्रीय संगीतज्ञों की उपस्थिति आयोजन को गरिमा प्रदान करती है।


अयोध्या को यूनेस्को के विश्व धरोहर की सूची में शामिल करने को लेकर पूर्वांचल विकास मंडल के सेमिनार में भी प्रस्ताव रखा जाएगा। पं. दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय, गोरखपुर के प्रो. सर्वेश कुमार ने बताया कि सेमिनार दस दिसंबर से विवि होगा।

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