कंबोडिया के सियाम रीप की तरह 2000 एकड़ पर बसेगी ‘नई अयोध्या’
इसके केन्द्र में होगी भगवान राम की प्रतिमा
अयोध्या
अयोध्या को राम मंदिर निर्माण के साथ ही आध्यात्म और पर्यटन का अंतरराष्ट्रीय केंद्र बनाने की तैयारी प्रारंभ हो गई है। सीएम योगी आदित्य नाथ ने यह वादा किया था और अब इस पर काम प्रारंभ हो गया है। योगी सरकार ने कंबोडिया के सियाम रीप (अंकोरवाट मंदिर) की तरह अयोध्या में सरयू नदी के किनारे ‘इक्ष्वाकुपुरी’ बसाने का प्रस्ताव तैयार किया है। लगभग दो हजार एकड़ में प्रस्तावित यह आध्यात्मिक और सांस्कृतिक ‘नगरी’ राम जन्मभूमि का गेटवे भी होगा।
इक्ष्वाकुपुरी को अयोध्या-गोंडा मार्ग पर गुप्तार घाट के निकट सरयू के तट पर बनाया जाएगा इसके चलते रिवर फ्रंट भी विकसित किया जाएगा। यहां का प्राकृतिक सौंदर्य और सहजता बनाए रखने के लिए इसे ईको और ग्रीन सीट के रूप में विकसित करने का प्रस्ताव है, जिसमें बिल्टअप स्पेस 5% ही होगा। इक्ष्वाकुपुरी में भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत का चित्रण होगा। इसके प्रवेश द्वार से जन्मभूमि की दूरी ढाई किलोमीटर होगी। अयोध्या नगरी के बीच से रामजन्मभूमि तक 100 मीटर से अधिक चौड़ा पाथवे भी बनेगा, जिसमे वाहनों के परिचालन पर प्रतिबंध होगा। इसके किनारे भी आध्यात्मिक और धार्मिक कृतियों का चित्रण, लैंडस्केप विकसित किया जाएगा। इसके किनारे इक्ष्वाकुवंशी राजाओं की भी प्रतिमा लगाई जाएगी, जिसमें उनके पूरे इतिहास की जानकारी होगी। ्र
योगी आदित्यनाथ के समक्ष प्रॉजक्ट का प्रजेंटेशन दिया गया था। इसमें इस प्रस्ताव पर भी चर्चा हुई है कि अयोध्या में प्रस्तावित भगवान राम की 251 मीटर की भव्य प्रतिमा को भी इक्ष्वाकुपुरी के सेंटर में ही स्थापित किया जाएगा। यह एंट्री पॉइंट से रामजन्मभूमि मार्ग के बीच में स्थापित करने का प्रस्ताव है। वहीं, इसके पैडस्टल में ऐक्टिवटी सेंटर और पर्यटक सुविधाएं विकसित की जाएंगी। इसमें विभिन्न राज्यों के गेस्ट हाउस से लेकर होटल और रेस्टोरेंट सहित दूसरे सुविधा स्थल शामिल हैं।
इक्ष्वाकुपुरी में वैदिक काल से लेकर महाकाव्य काल के चित्रण और उसके भावभूमि से दर्शकों को परिचित कराने की तैयारी है। इसके लिए ऑडियो-विजुअल माध्यमों का भी उपयोग होगा। प्रवेश करते ही वैदिक सेक्टर होगा, जिसमें चारों वेदों ऋगवेद, सामवेद, यजुर्वेद और अर्थववेद के काल क्रम के अनुसार सेक्टर बनाए जाएंगे। इसमें तत्कालीन परंपराओं के अनुसार प्रमुख ऋचाओं का अंकन, उनके भावार्थ, श्रृत परंपरा का भी डिस्प्ले होगा। इसके बाद 10 प्रमुख उपनिषदों, प्रमुख पुराणों का उनके काल क्रम के अनुसार सेक्टर बनाया जाएगा, जिससे लोग उसके ऐतिहासिक और आध्यात्मिक पक्ष से रूबरू हो सके। रामायण और महाभारत दोनों ही महाकाव्यों की अहम घटनाओं व पक्षों को दर्शाती अलग गैलरी होगी।
बालकांड से लेकर जानकी विवाह तक
प्रस्तावित कार्य योजना में भगवान राम के जीवन चरित्र के प्रारंभिक प्रसंगों को अलग और रोचक ढंग से प्रदर्शित करने की तैयारी है। इसमें बाललीला, महर्षि विश्वामित्र के आश्रम में राम-लक्ष्मण के जाने, शिक्षा ग्रहण, ताड़का वध से लेकर जानकी विवाह तक की घटनाओं को ऐम्फिथिअटर और गैलरी में ऐनिमेशन फिल्मों के जरिए लगातार प्रदर्शित किया जाएगा। इसके साथ ही परिसर में सप्त ऋषियों के आश्रम, वैदिक गुरुकुल परंपरा को प्रदर्शित करने वाले मॉडल विकसित किए जाएंगे। रामायण में संदर्भित वनों और सरोवरों के नाम पर इस क्षेत्र में अरण्य व सरोवर भी विकसित किए जाने का प्रस्ताव है। परिसर में वैदिक रिसर्च सेंटर भी बनाया जाएगा, जिसमें योग, ध्यान के भी केंद्र होंगे। वहीं, सरयू के किनारे पर्यटन की दृष्टि से वॉटर स्पोर्टस की सुविधा भी विकसित की जाएगी।
ऐसा है सियाम रीप
कंबोडिया के अंकोरवाट में भगवान विष्णु का मंदिर है। यह स्थल यूनेस्को की धरोहर और विश्व के सर्वाधिक लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में एक है। सियाम रीप अंकोरवाट के गेटवे के रूप में जाना जाता है, जो मंदिर, पर्यावरणीय स्थलों और सांस्कृतिक विशेषताओं को समेटे हुआ है। योगी सरकार की योजना राम जन्मभूमि के पहले ऐसे ही एक सांस्कृतिक, आध्यात्मिक भव्य ‘गेटवे’ सिटी तैयार करने की है, जो श्रद्धालुओं और पर्यटकों दोनों का ही दिल मोह सके। परिसर में केवल इलेक्ट्रिक और बैटरी चालित छोटे वाहनों के ही प्रवेश का प्रस्ताव है।
Web Title new ayodhya to be developed like siem reap of kambodia
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