कश्मीर पर पाकिस्तान के पक्ष में बयान देने पर भारतीय व्यापारियों ने मलेशिया का तेल निकाला
भारत सरकार ने भी कश्मीर पर भारत विरोधी गतिविधियों को भड़काने वाले देशों को दी चेतावनी
नई दिल्ली.
कश्मीर के मुद्दे पर मलेशिया के प्रधानमंत्री महाथिर मोहम्मद के बयान से नाराज होकर भारतीय व्यापारियों ने मलेशिया के सामान का बहिष्कार करना शुरू कर दिया है। इसका सबसे ज्यादा असर मलेशियाई पाम तेल पर पड़ा है। इसके बाद मलेशिया के व्यापार मंत्री ने भारत से पाम तेल की खरीदी जारी रखने को कहा है। मलेशियाई प्रधानमंत्री ने कहा था कि हम कश्मीर पर अपनेे पुराने रुख पर कायम हैं। उन्होंने इस मामले में संयुक्त राष्ट्र संघ का हवाला दिया था। लेकिन भारतीय व्यापारियों के बहिष्कार के बाद मलेशिया की सरकार का “तेल” निकल गया है। इसके अलावा सरकार ने भी कश्मीर मुद्दे को लेकर दुनिया के कई देशों में उभरी भारत विरोधी ताकतों को देखते हुए उन देशों की सरकारों को चेतावनी दी है कि उन्हें भारत के साथ अपने द्विपक्षीय संबंधों को देखते हुए उसके खिलाफ चलाई जाने वाली विरोधी गतिविधियों पर लगाम लगाने की व्यवस्था करनी चाहिए।
भारत ने इस बारे में अपनी बात तब रखी है, जब कई देशों से इस तरह की सूचनाएं आ रही है कि पाकिस्तान ने विदेशों में फिर से अपने ‘कश्मीर सेल्स’ को सक्रिय करना शुरु कर दिया है। कई देशों में कश्मीर को लेकर रोटी सेंकने वाले समूहों और खालिस्तान समर्थक समूहों के बीच गठबंधन बनने की बात भी सामने आ रही है। कश्मीर मुद्दे पर लंदन में पाकिस्तान समर्थकों की एक बड़ी भीड़ ने भारतीय उच्चायोग के सामने हिंसक प्रदर्शन किया था। अब वहां फिर से भारतीय उच्चायोग के सामने प्रदर्शन करने की तैयारी है।
इस पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा, ‘यह बेहद गंभीर मामला है और हमें इस पर काफी चिंता है। हमने ब्रिटिश सरकार ने अपनी चिंता के बारे में बताया है कि किसी भी प्रदर्शन आदि से उच्चायोग के सामान्य काम काज पर कोई असर नहीं पड़ना चाहिए। हमें उम्मीद है कि ब्रिटिश सरकार इस बार ज्यादा सक्रिय होगी।’ कुमार का यह वक्तव्य तब आया है, जब ब्रिटेन के पीएम बोरिस जॉनसन ने मामले को संज्ञान में लिया है।
भारत उन देशों के साथ भी संपर्क में है जहां पाकिस्तान के समर्थन से कश्मीर सेल्स सक्रिय हो चुके हैं। इन देशों को चेताया गया है कि कश्मीर मुद्दे को भड़काने में एक खास राष्ट्रीय पहचान के लोग जिस तरह से बड़े पैमाने पर जुड़ रहे हैं, वह आगे खतरनाक परिणाम दिखा सकता है। प्रवक्ता रवीश कुमार ने इस पर दो टूक कहा, ‘पाकिस्तान ने लगभग अपने हर विदेशी दूतावास में कश्मीर सेल्स खोल रखे हैं। इनका मुख्य उद्देश्य स्थानीय नागरिक जो पाकिस्तान के नागरिक नहीं है बल्कि किसी दूसरे देश के नागरिक हैं, उन्हें उकसाने की है।’ माना जा रहा है ब्रिटेन और कनाडा इस तरह की गतिविधियों के सबसे बड़े केंद्र के तौर पर उभर रहे हैं।
कनाडा में कश्मीर और खालिस्तान समर्थकों का गठजोड़ फिर से सक्रिय हो चुका है। यह ग्रुप दो दशक पहले होता था, लेकिन इन्हें काबू में करने की कूटनीतिक क्षमता भारत ने दिखाई थी। हाल ही में संपन्न हुए चुनाव में कुछ ऐसे सांसद दोबारा चुनाव जीत कर आये हैं, जो खुलेआम खालिस्तान का समर्थन करते हैं। इससे वहां भारत विरोधी भावनाओं के और भड़काये जाने के आसार है। भारत ने कश्मीर मुद्दे पर अमेरिकी संसद में चली सुनवाई और उसमें कश्मीर से धारा 370 हटाने के फैसले पर हुई बेहद आपत्तिजनक टिप्पणी पर भी अफसोस जताया है। भारत ने कहा है कि जिस तरह से कुछ सांसदों ने टिप्पणी की है वह दर्शाता है कि उन्हें कश्मीर की स्थिति का संज्ञान नहीं है। दूसरी तरफ तुर्की और मलयेशिया को भी कश्मीर मुद्दे पर बगैर तथ्यात्मक जानकारी के टिप्पणी करने से बाज आने का आगाह किया गया है। तुर्की की तरफ से कई बार कश्मीर पर बेहद आपत्तिजनक टिप्पणियां आई हैं जिनके बारे में भारत ने कहा है कि वह तथ्यों पर आधारित नहीं है। एक दिन पहले ही भारत ने तुर्की जाने वाले भारतीय पर्यटकों को वहां की स्थिति से आगाह किया है। तुर्की के साथ दूसरे कारोबारी समझौतों की भी समीक्षा की जा रही है।
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