अयोध्या में रामलला आ चुके हैं
तैयारियों को देखते हुए निकाले जा रहे निष्कर्ष, 7 को भी आ सकता है निर्णय
दिल्ली
श्री राम जन्मभूमि मामले पर निर्णय की घड़ी निकट है। इसे देखते हुए न केवल निर्णय कब आएगा बल्कि इस बात के भी अनुमान लगाए जा रहे हैं कि निर्णय क्या होगा? सरकार और दोनों पक्षों में चल रही गतिविधयों को देखते हुए जानकारों का कहना है कि अयोध्या में रामलला आ चुके हैं। वहीं दोनों पक्ष निर्णय को स्वीकार करने के साथ ही सद्भाव बनाए रखने की बात भी कर रहे हैं।
जिन बातों के आधार पर कहा जा रहा है कि निर्णय रामलला के पक्ष में आएगा उनमें पहली बात यह है कि कई मुस्लिम जन्मभूमि पर दावा छोड़ने की सलाह देने लगे हैं। इन लोगों में पूर्व आईएएस और कुलपति से लेकर पुताई करने वाले श्रमिक तक शामिल हैं। मुस्लिम समाज से आने वाले पेंटर (पुताई करने वाले) मल्लन कहते हैं कि मस्जिदें तो लाखों है लेकिन राम जन्मभूमि तो एक ही है। जैसे हमारा काबा वैसे हिंदू भाइयो के लिए राम जन्म भूमि। इस्लाम दूसरे की भावनाओं की कद्र करने की तालीम देता है। इस्लाम कहता है कि यदि पड़ोसी भूखा है तो हमारा खाना जायज नहीं है। हम अपने पड़ोसी हिंदू भाइयों की धार्मिक भावनाओं का एहसास ना करके अपनी इबादत को कैसे अंजाम दे सकते हैं? इसी तरह से मुस्लिम विद्वान कल्बे सादिक का कहना है कि यदि मुस्लिम कोर्ट में जीत जाएं तो भी उन्हें ये भूमि हिन्दुओं को दे देना चाहिए। बल्कि वे तो निर्णय आने के पहले ही इस कदम को उठाने की राय दे रहे हैं।
दूसरी बात जो इस मामले में राम मंदिर की और संकेत कर रही है वो है प्रशासनिक सक्रियता। यूपी सरकार की तरफ से जो शासनादेश आया है अगर उसका अवलोकन किया जाए तो मिलता है कि इसमें फील्ड में जुटे अधिकारियों की छुट्टी को त्योहारों का हवाला देकर 30 नवंबर तक के लिए निरस्त किया गया है.बात त्योहारों की चल रही है तो बताना जरूरी है कि छठ उत्तर प्रदेश में उतने बड़े पैमाने पर नहीं होता और यहां बड़ा त्योहार दिवाली ही है जोकि अक्टूबर में ख़त्म हो रहा है। ऐसे में नवंबर तक छुट्टियां करना ये बताता है कि ये सारी कवायद अयोध्या निर्णय के परिदृश्य में की गई है जो नवंबर में आ रहा है।
तीसरा कारण जो कि राम मंदिर के पक्ष में माना जा रहा है वो है कोर्ट में मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन का नक्शा फाड़ना। दरअसल हुआ ये था कि सुनवाई के दौरान हिंदू महासभा के वकील विकास सिंह ने एडिशनल डॉक्यूमेंट के तौर पर पूर्व आईपीएस किशोर कुणाल की किताब अदालत में रखने का प्रयास किया था। मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन को ये बात नागवार गुजरी और उन्होंने आपत्ति दर्ज करते हुए कहा कि अगर ऐसा हुआ तो वह इनके (हिंदू महासभा के वकील) के सवालों का जवाब नहीं देंगे। इसपर विकास सिंह ने कहा कि मैं किताब पर अपना जवाब नहीं दे रहा हूं लेकिन हाईकोर्ट के आदेश के मुताबिक एक नक्शा दिखाना चाहता हूं। विकास सिंह का इतना कहना भर था मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन आग बबूला हो गए और उन्होंने उस नक़्शे को फाड़ कर उसके 5 टुकड़े कर दिए। कोर्ट में मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन के इस बर्ताव ने इस बात का एहसास करा दिया है कि रामलला आ रहे हैं।
इसके अलावा जानकारों का मानना है कि न्यायालय भूमि को सरकार भी घोषित सकते हंै। एेसी स्थिति में भूमि के समस्त अधिकार सरकार के पास आ जाते हैं और सरकार इसके उपयोग के बारे में निर्णय ले सकती है। ऐसी स्थिति में इस भूमि का उपयोग तय करने का दायित्व प्रदेश सरकार के पास आ जाएेगा। इसके बाद ये कोई भी समझ सकता है कि प्रदेश सरकार इस भूमि का क्या उपयोग करेगी। कल्याण सिंह के कार्यकाल में भी प्रदेश सरकार ने विवादित स्थल के आसपास की भूमि मंदिर के लिए अधिग्रहित की थी। इसके चलते लग रहा है कि अयोध्या में रामलला आ चुके हैं।
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