रामलला विराजमान ने पूछा, क्या ईदगाह ध्वस्त करके मस्जिद बनी ?
चीफ जस्टिस ने मुस्लिम पक्ष से कहा- बार बार एक ही बात न दोहराएं
एकात्म भारत. दिल्ली
श्रीरामजन्मभूमि मामले की सुनवाई के दौरान मंगलवार को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई से मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन को माफी मांगनी पड़ी। सुनवाई के दौरान रामलला विराजमान की ओर से सीएस वैद्यनाथन ने मुस्लिम पक्ष की दलीलों के उत्तर में दलीलें शुरू कीं। वैद्यनाथन ने शूट 4 (सुन्नी वक्फ बोर्ड) की याचिका का अंश पढ़ते हुए कहा कि इनका कहना है कि बाबरी मस्जिद सपाट जमीन पर बनाई गई थी, वहां पर कोई भी ईदगाह नहीं थी। अब मुस्लिम पक्ष कह रहा है कि वहां पर ईदगाह थी।
उन्होंने पुरातात्विक खोज में मिली दीवार (नंबर 18) के मंदिर नहीं, ईदगाह की होने की मुस्लिम पक्ष की दलील खारिज कर दी और कहा कि मुस्लिम पक्ष कह रहा है कि 1528 से पहले वहां ईदगाह थी तो क्या यह माना जाए कि मुगलों ने इसे गिराकर मस्जिद का निर्माण किया? मुस्लिम पक्ष ने अपने वाद में खुद कहा है कि मस्जिद सपाट जमीन पर बनाई गई थी, लेकिन अब कह रहे हैं कि ईदगाह तोड़कर मस्जिद बनाई गई।
उनके यह कहने पर मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने कहा, ऐसा नहीं है। यह दीवार मंदिर का हिस्सा नहीं है। यह खुदाई में नहीं निकली है। वैद्यनाथन ने कहा कि मुस्लिम पक्ष ने खुदाई में निकली एक लंबी दीवार को ईदगाह बताया, लेकिन न तो किसी गवाह ने इसकी बात कही ना ही आर्कियोलॉजिकल सर्वे ने ईदगाह की बात कही। मुस्लिम पक्षकारों ने ASI की छवि को धूमिल किया है।
धवन ने कहा, हमने 1961 में केस दाखिल किया था, हमें कैसे पता चलता? आज आप कह रहे हैं कि ईदगाह तोड़कर मस्जिद बनाई गई। ये तो नया मामला है। इसके बाद मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगई इस पर नाराज हो गए। मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन पर गुस्सा जाहिर करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसे सुनवाई नहीं चलेगी। मुस्लिम पक्ष के वकील उन्हें बार-बार वही चीज बता रहे हैं, जो पहले कह चुके हैं। क्या उन्हें लगता है कि बेंच अपने दिमाग का इस्तेमाल नहीं करती? इसके बाद धवन ने माफी मांगी और सुनवाई आगे बढ़ी।
संविधान पीठ के समक्ष हिन्दू पक्ष की ओर से परासरण ने भगवद्गीता का श्लोक उद्धृत करते हुए कहा कि पापकर्म की बदनामी मृत्यु से भी निकृष्ट है। लोगों का अगर किसी भूमि स्थान पर अलौकिक शक्तिशाली और ऊर्जा होने का विश्वास और श्रद्धा है तो वह भी कानूनी व्यक्ति हो जाता है। यानी उसे संकट के समय अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए अदालत जाने का अधिकार है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि उन गुणों की घोषणा स्वयंभू है या किसी ने की है। हिन्दू सनातन दर्शन में तो पांच तत्व धरती, गगन, अग्नि, वायु और जल के साथ दसों दिशाओं की पूजा होती है। श्री देवी भू देवी भी पूजित हैं।
परासरण ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि चिदम्बरम मंदिर में शिव का लिंग नहीं है। वहां एक पर्दा है। पर्दा हटता है तो नटराज के दर्शन होते हैं। तमिलनाडु के समुद्रतट पर मयलापुरम में भी मंदिर तो है पर मूर्ति नहीं है। परासरन ने कुड्डालोर मंदिर का उदाहरण देते हुए कहा कि कुड्डालोर मंदिर में भी कोई मूर्ति नहीं है और केवल एक दिया जलता है जिसकी पूजा की जाती है। वैद्यनाथन ने मुस्लिम पक्ष द्वारा की गई बहस पर एक नोट कोर्ट में दिया। वैधनाथन ने कहा कि जब एक बार साबित हो गया कि वहां पर भगवान राम का जन्म हुआ था तो वहां पर किसी भी मूर्ति की ज़रूरत नहीं है।
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