तबलीगी जमात के सदर मौलाना साद के खिलाफ दारुल उलूम चार साल पहले जारी कर चुका है फतवा
कहा था कि मौलाना साद भटक गए हैं उन्हें तौबा करना चाहिए
दिसंबर 2016 में दारूल उलूम देवबंद ने तबलीगी जमात के सदर मौलाना साद कान्धलवी के खिलाफ एक फतवा जारी किया था। इसमें मौलाना साद पर गुमराही, इस्लामिक शरीयत के गलत मायने बताने और अल्लाह के पैगंबर के अपमान का आरोप लगाया गया था। इसमें मौलाना साद को बिना किसी देरी के तौबा करने को कहा गया था।
ये फतवा केवल आलिमों के लिए लिखा गया था लेकिन गलती से सोशल मीडिया और दारूल उलूम की वेबसाईट पर जारी हो गया था। सोशल मीडिया पर फैले कमेंट्स और संदेशों का हवाला देते हुए कहा जाता है कि भोपाल के इज्तिमा में मौलाना साद ने कथित तौर पर मरकज हजरत निजामुद्दीन को मक्काह और मदीना के बाद सबसे पवित्र स्थल बताया था। दारूल उलूम देवबंद ने फतवे में मौलान साद के कुछ बयानों का हवाला देते हुए आरोप लगाया था कि उन्होंने अल्लाह के पैगंबरों की शान में गुस्ताखी की है। दारुल उलूम ने यह भी कहा कि उन्हें बांग्लादेश और पाकिस्तान के आलिमों की ओर से भी मौलाना साद की शिकायत मिली है।
फतवे में तबलीगी जमात के बड़े आलिमों से अनुरोध किया गया था कि वे इस मामले में दखल दें और जल्द से जल्द जरुरी कदम उठाएं। सियासत डेली में छपी खबर के अनुसार इसमें कहा गया था कि यदि जल्द ही कोई बड़ा कदम नहीं उठाया गया तो डर है कि तबलीगी जमात से जुड़े लोग भी गुमराह हो जाएंगे।
जमात पर इसके पहले भी कईं लोग सवाल उठा चुका हैं। देवबंद के कुछ आलिमों ने जमात के खिलाफ लेख भी लिखे हैं। लेकिन यह पहला मौका था जबकि इस तरह की बातें सार्वजनिक हुई थीं।
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