90000 सैनिकों के साथ हमारे सामने घुटने टेकने वाला भी नियाजी था

90000 सैनिकों के साथ हमारे सामने घुटने टेकने वाला भी नियाजी था

भारत ने यूएन में पाकिस्तान के पीएम इमरान खान नियाजी को याद कराया

एकात्म भारत. न्यूयॉर्क
भारत ने यूएन में ‘राइट टु रिप्लाइ’ के तहत पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के 50 मिनट के भाषण की मात्र 5 मिनट धज्जियां उड़ा दी। जवाब देते हुए भारतीय राजनायिक विदिशा मैत्रा ने आतंकवाद को लेकर न सिर्फ पाकिस्तान के दोहरे चरित्र को उजागर किया, बल्कि इमरान के भाषण को ही हथियार बनाकर इस्लामाबाद को कठघरे में खड़ा किया।


पहली बार यूएन में बोलते हुए मैत्रा ने पाकिस्तानी पीएम को उनके पूरे नाम इमरान खान नियाजी से संबोधित करके उन्हें 1971 के इतिहास की याद दिलाई, जब आज के बांग्लादेश और तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान में लेफ्टिनेंट जनरल नियाजी ने करीब 1 लाख पाकिस्तानी सैनिकों के साथ भारतीय सेना के सामने सरेंडर किया था। विदिशा मैत्रा, शुक्रवार को भारत के ‘ राइट टु रिप्लाइ’ के तहत जवाब देते हुए अपने अकाट्य तर्कों से पाक की बोलती बंद कर दी। विदिशा हाल ही में संयुक्त राष्ट्र मिशन से जुड़ी हैं। उन्होंने कहा, ‘पीएम इमरान खान का परमाणु युद्ध छेड़ने की धमकी खतरनाक सोच को दिखाता है, राजनीतिक कौशल नहीं।’ विदिशा ने कहा, ‘संयुक्त राष्ट्र महासभा का शायद ही ऐसा दुरुपयोग देखा गया है। कूटनीति में शब्द मायने रखते हैं। बर्बादी, खूनखराबा, नस्लीय श्रेष्ठता, बंदूक उठाना, अंत तक लड़ना जैसे शब्दों का इस्तेमाल मध्ययुगीन मानसिकता को दिखाता है न कि 21 सदी के दृष्टिकोण को।’ उन्होंने इमरान खान का पूरा नाम ‘इमरान खान नियाजी’ लेकर सोशल मीडिया पर खूब वाह-वाही लूटी। लोगों को ‘नियाजी’ सुनना इसलिए पसंद आया क्योंकि 1971 के युद्ध में पाकिस्तानी सेना के लेफ्टिनेंट जनरल ए ए के नियाजी ने 90,000 सैनिकों के साथ भारतीय सेना के सामने सरेंडर कर दिया था।


मैत्रा ने पूछा, ‘पाकिस्तान के पीएम इस बात की पुष्टि नहीं करेंगे कि उनका देश UN द्वारा घोषित 130 आतंकियों और 25 आतंकी संगठनों की शरणस्थली है? क्या पाकिस्तान इस बात से इनकार करेगा कि 27 में से 20 पैरामीटर्स के उल्लंघन के कारण फाइनैंशल ऐक्शन टास्क फोर्स ने उसे नोटिस दे रखा है। क्या पीएम इमरान खान न्यूयॉर्क शहर से इनकार करेंगे कि वह ओसामा बिन लादेन का खुले तौर पर बचाव करते रहे हैं।’ विदिशा ने कहा कि यह एक ऐसा देश है जहां अल्पसंख्यक समुदाय 1947 में 23% से सिकुड़कर 3% रह गया है। पाकिस्तान में ईसाई, सिख, अहमदिया, हिंदू, शिया, पश्तून, सिंधी और बलूचों को ईश निंदा कानून के तहत प्रताड़ित किया जाता है और वे जबरन धर्मांतरण का शिकार हो रहे हैं।


…और उधर बेबस इमरान
सीएनएन को दिए इंटरव्यू में इमरान खास दिखाई दिए। उन्होंने कहा, ‘कश्मीर में उन्होंने जो किया है उसके बाद मेरा प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात करने का कोई सवाल ही नहीं।’ एक सवाल के जवाब में खान ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कश्मीर पर कोई अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता नहीं चाहते। उन्होंने कहा, ‘वह कहते रहे हैं कि यह द्विपक्षीय संबंध हैं। जब हम उनसे बात करने की कोशिश करते हैं तो वह कहते हैं कि यह एकपक्षीय मुद्दा है। इसलिए हम कुछ हासिल नहीं कर रहे क्योंकि हम घूम फिर कर वहीं हैं।’

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