वामपंथियों की आदिवासी हिन्दू नहीं हैं, मुहिम की हवा निकालेगा संघ
सरसंघचालक और विश्व हिंदू परिषद के नेताओं के बीच की बैठक में हुई चर्चा
भोपाल
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत की उपस्थिति में हो रही विश्व हिंदू परिषद की बैठक में निर्णय लिया गया है कि देश के 12 करोड़ जनजातीय वर्ग को हिंदुत्व से अलग करने का जो अभियान चल रहा है, उसका जवाब दिया जाए और जनजातियों को यह बताने का प्रयास किया जाए कि वे सदियों से हिंदू ही हैं।
जनजातियों में मूल निवासी का भ्रम फैला कर उन्हें हिंदुओं से अलग करने का षड्यंत्र मध्य प्रदेश से ही प्रारंभ हुआ था। इसके चलते संघ और विश्व हिंदू परिषद ने यहीं से इसका जवाब देने की तैयारी की है। इस मुद्दे को लेकर संघ की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अब तक कभी भी विश्व हिंदू परिषद के साथ इस तरह से संघ प्रमुख की अलग से बैठक नहीं हुई है। लेकिन जनजातियों को हिंदुत्व से अलग करने का जो षड्यंत्र चल रहा है उसे गंभीरता से लेकर इसका जवाब दिया जाना जरूरी है, इसके चलते संघ प्रमुख दो दिवसीय प्रवास पर भोपाल पहुंचे हैं।
मध्य प्रदेश ही क्यों?
देश की सर्वाधिक जनजातीय संख्या मध्यप्रदेश में है और यह लंबे समय से धर्मांतरण की गतिविधियां भी जारी हैं। धर्मांतरण पर ऐतिहासिक नियोगी कमीशन की रिपोर्ट मध्य प्रदेश से ही संबंधित है। संघ ने हिंदू सम्मेलन के माध्यम से धर्मांतरण के मुद्दे को पर बहुत हद तक काबू पाया है। संघ का आरोप है कि इसके चलते ईसाई मिशनरियों और वामपंथी संगठन अब जनजातीय वर्ग में हिंदू ना होने अब हम फैलाने में लगे हुए हैं। इस कार्य में जयस जैसे संगठन भी खड़े हो गए हैं। इसके चलते संघ और विश्व हिंदू परिषद ने इस अभियान के लिए मध्य प्रदेश को चुना है।
यह हुआ बैठक में
बैठक में इसे लेकर योजना पर चर्चा हुई। संघ प्रमुख दो दिवसीय भोपाल प्रवास पर है। गुरुवार को हुई बैठक में संघ प्रमुख के अलावा सरकार्यवाह भैयाजी जोशी और विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय महामंत्री चंपत राय भी मौजूद थे। बैठक में कहा गया कि मिशनरी और वामपंथी संगठनों द्वारा देश के जनजातीय वर्ग के मन में लगातार यह भाव पैदा करने की कोशिश की जा रही है कि वह हिंदू नहीं है। इसे मूल निवासी बनाम हिंदुओं के रूप में प्रचारित किया जा रहा है। यह सिद्ध करने का प्रयास किया जा रहा है कि हिंदू बाहर से आए हैं जबकि जनजातीय वर्ग यहां का मूल निवासी वर्ग है।
ये है योजना
इसे लेकर विश्व हिंदू परिषद ने योजना बनाई है। परिषद की योजना है कि इसके लिए बड़े पैमाने पर जनजातीय वर्ग के साथ संपर्क किया जाए और उन्हें उनकी जीवन शैली के माध्यम से ये समझाया जाए कि वे आदिकाल से हिंदू हैं। विश्व हिंदू परिषद ने इसके लिए ग्रामीण स्तर पर टोलियां गठित करने की बात कही है। यह टोलियां जनजातीय वर्ग से संपर्क करेंगी। जनजाति वर्ग को कोई यह भी बताने का प्रयास किया जाएगा कि उनके और उनके माता-पिता के नाम में सदियों से राम और कृष्ण जुड़े रहे हैं।
बाली का उदाहरण देकर तोड़ रहे समाज
बैठक में कहा गया कि रामायण जैसे ग्रंथ की मनमाफिक व्याख्या करके इसाई मिशनरियों और वामपंथी संगठन भ्रम फैलाने का प्रयास कर रहे हैं। वह भगवान श्रीराम द्वारा बाली की हत्या किए जाने के प्रकरण को सामने रखकर यह बताने का प्रयास करते हैं कि जनजातीय वर्ग वास्तव में बाली के वंशज है। इस संबंध में बैठक में एक रिपोर्ट भी प्रस्तुत की गई।
खुद को हिंदू ना लिखें
बैठक में इस बारे में भी जानकारी दी गई कि ईसाई मिशनरी और वामपंथी संगठन जनजातीय वर्ग पर लगातार इस बात के लिए दबाव बना रहे हैं कि वे जनगणना में धर्म के कॉलम में स्वयं को हिंदू न लिखते हुए आदिवासी या कबीरपंथी लिखें। यह विकल्प अभी जनगणना के फॉर्म में नहीं है इसलिए इन संगठनों की मांग है कि जनजातियों को धर्म के कॉलम में इसे जोड़ने की मांग सरकार से करनी चाहिए।
गुरुवार को संघ प्रमुख से प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी मुलाकात की। माना जा रहा है कि शिवराज सिंह चौहान ने उन्हें प्रदेश की राजनीतिक स्थिति के बारे में जानकारी दी है। प्रदेश में 28 विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव होने हैं, इसके चलते मुख्यमंत्री की संघ प्रमुख से हुई मुलाकात को महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
Recent Comments