कश्मीर में हिंदू तीर्थस्थलों के संरक्षण बिल की मांग
जम्मू
जम्मू कश्मीर में हिन्दू धर्म स्थलों की स्थिति किसी से छिपी नहीं हैं। जम्मू-कश्मीर की नई डोमिसाइल नीति और अनुच्छेद 370 समाप्त किए जाने से उत्साहित कश्मीरी पंडित ने अब सरकार से हिंदू धार्मिक व तीर्थस्थलों के संरक्षण के लिए प्रभावी कानून बनाए जाने की मांग की है।
गुरुवार को कश्मीरी पंडितों के संगठन ने कश्मीर के उपराज्यपाल जीसी मुर्मू से मुलाकात की और उन्हें पीएम केयर के लिए 1.75 लाख रुपए का चेक भी भेंट किया। इसके साथ ही उन्होंने उपराज्यपाल से कश्मीरी पंडित समुदाय के रोजगार और घाटी में उनकी वापसी के लिए कॉलोनियों का मुद्दा भी उठाया। कश्मीरी पंडितों ने डोमिसाइल नीति को राष्ट्रवादियों की जीत और अलगाववादियों व उनके समर्थकों की हार बताया है।
कश्मीर पंडित समुदाय के विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों ने दो अलग-अलग प्रतिनिधिमंडलों के रूप में गुरुवार को उपराज्यपाल जीसी मुर्मू से राजभवन में मुलाकात की। उन्होंने उपराज्यपाल से कहा कि जम्मू कश्मीर में पिछड़ेपन और अलगाववाद के सभी मुख्य कारणों को हटा दिया गया है।
उन्होंने कहा कि हमने कश्मीर घाटी में हिंदू समुदाय के सभी धर्मस्थलों व उनके परिसंपत्तियों और तीर्थस्थलों के संरक्षण और विकास के लिए जम्मू-कश्मीर सरकार के पास एक बिल भेजा गया है, उसका संज्ञान लिया जाना चाहिए। हमने कश्मीरी पंडित समुदाय के रोजगार और घाटी में उनकी वापसी के लिए कॉलोनियों का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने हमें बताया कि कश्मीर लौटने वाले कश्मीरी पंडित समुदाय के लोगों के लिए आवासीय कॉलोनियां तैयार करने के लिए जमीन को चिह्नित किया जा चुका है।
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डोमिसाइल से समाप्त हुई एक वर्ग की राजनीति
कश्मीरी पंडितों ने कहा कि डोमिसाइल की व्यवस्था ने जम्मू कश्मीर को पूरी तरह मुख्यधारा से जोड़ दिया है। यहां बीते 70 वर्षो से एक वर्ग विशेष की सियासत समाप्त हो गई है। यह राष्ट्रवादियों की जीत है। डोमिसाइल व्यवस्था के तहत उन लोगों को भी फायदा होगा जो जम्मू कश्मीर के नागरिक हैं और 40-50 साल पहले यहां से चले गए थे। पूर्व एमएलसी सुरेंद्र अंबरदार ने कहा कि बीते 70 वर्षो से कश्मीर में जो अन्याय और अलगाववाद का दौर चल रहा था, उसे समाप्त करने के लिए प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और उपराज्यपाल का आभार जताने के लिए ही हम आज यहां आए थ
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