ASI टीम के सदस्य मुहम्मद ने कहा खुदाई में मिले अवशेष मंदिर के
बोले जिस दीवार को ईदगाह बता रहे, उसमें मकर प्रणाली की मूर्तियां हैं
एकात्म भारत. दिल्ली
श्री राम जन्मभूमि विवाद के दौरान मुस्लिम पक्ष ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की रिपोर्ट पर प्रश्न उठाएं हैं। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि विवादित ढ़ांचे के नीचे एक मंदिर के अवशेष मिले हैं। इन अवशेषों पर प्रश्न खड़ा करते हुए मुस्लिम पक्ष के वकीलों ने इन्हें ईदगाह के अवशेष सिद्ध करने का प्रयास किया है लेकिन इस मामले में एएसआई के पूर्व क्षेत्रीय निदेशक (उत्तर) केके मुहम्मद, जो कि स्वयं खुदाई करने वाली टीम में शामिल थे, ने सीधे और स्पष्ट शब्दों में कहा है कि अयोध्या में विवादित स्थल पर खुदाई के दौरान मिली लंबी दीवार और गोलाकार पूजास्थल हिंदू मंदिर का हिस्सा है, न कि किसी ईदगाह मस्जिद का।
मुहम्मद ने कहा कि मुस्लिम पक्षकार बेवजह और बिना किसी ठोस आधार के एक सीधे मामले को पेचीदा बना रहे हैं। इस बात के बहुत प्रमाण हैं कि विवादित ढांचा होने के बावजूद सदियों से हिंदू भगवान राम की पूजा करने के लिए अयोध्या जाते रहे हैं। विवादित स्थल की खुदाई करने वाली ASI की टीम में शामिल रहे केके मुहम्मद ने अयोध्या विवाद मामले में पुरातात्विक साक्ष्यों और उससे जुड़े साहित्यिक प्रमाणों पर प्रकाश डाला। उन्होंने आर्कियोलॉजी की विधा पर उठे प्रश्नों का भी उत्तर दिया और कहा कि साफ कहा कि पुरातत्व एक विज्ञान है और ASI स्वतंत्र एजेंसी है। उसने इलाहाबाद हाई कोर्ट में वैज्ञानिक रिपोर्ट दाखिल की थी।
उन्होंने सवालिया लहजे में कहा, अगर दीवार ईदगाह या किसी इस्लामी ढांचे का हिस्सा थी तो आप देवी-देवताओं की मूर्तियां और मगरमच्छ की तस्वीर ‘मकर प्रणाली’ मिलने का क्या स्पष्टीकरण देंगे जो गंगा नदी को दर्शाती है। यह इस्लामी संस्कृति का हिस्सा नहीं हैं। डॉक्टर मोहम्मद के मुताबिक पहली बार 1977-78 में और बाद में भी जब एएसआई ने खुदाई की तो बाबरी मस्जिद के नीचे मंदिर के प्रमाण मिले। जल की मकर मुख वाली परनाली, शिखर के नीचे अमलका और सबसे बड़ा प्रमाण विष्णु हरि शिला फलक जो कहता है कि यह मंदिर उसका है, जिसने दस शीश वाले का वध किया। आप समझ सकते हैं कि दस सिर वाला रावण है और उसका वध राम ने किया।
वामपंथियों ने गुमराह किया
बरसों बाद भी अयोध्या मामले का हल नहीं निकलने के लिए केके मोहम्मद ने वामपंथी इतिहासकारों को जिम्मेदार ठहराया है। उनके मुताबिक वामपंथियों ने इस मसले का समाधान नहीं होने दिया और मामले को कॉम्लीकेट कर दिया। डॉ़क्टर मोहम्मद का दावा है कि मंदिर मामले में देश के मुसलमानों को कुछ वामपंथी चिंतकों ने गुमराह किया था। अगर ऐसा न हुआ होता तो ये मुद्दा कब का सुलझ चुका होता। केरल के कालीकट में जन्में मुहम्मद हां मैं भारतीय हूं नामक पुस्तक भी लिख चुके हैं। यह हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में उपलब्ध है।
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