जिन देशों का राजधर्म इस्लाम वहां के मुसलमान भारत आकर क्या करेंगे?

जिन देशों का राजधर्म इस्लाम वहां के मुसलमान भारत आकर क्या करेंगे?

कांग्रेस, एनसीपी, सपा, बसपा और तेलंगाना राष्ट्र समिति जैसे दलों ने नागरिकता संशोधन विधेयक में मुस्लिमों को शामिल करने की मूर्खतापूर्ण मांग की,

विधेयक लोकसभा में पारित

नई दिल्ली
नागरिकता संशोधन विधेयक लोकसभा में पारित हो गया है। लेकिन इस पर लोकसभा में हुई बहस ने एक बार फिर कांग्रेस,बसपा,सपा,एनसीपी, टीआरएस जैसे दलों ने पड़ोसी देशों से आने वाले मुस्लिमों को इसमें शामिल किए जाने की मूर्खतापूर्ण मांग रखी और फिर साबित कि इन दलों के लिए देश से ज्यादा वोट महत्वपूर्ण हैं। यह विधेयक लोकसभा में 311 सदस्यों के समर्थन से पारित हुआ। जद(यू) और एलजेपी जैसे एनडीए के सहयोगियों ने जहां इसका समर्थन किया वहीं बीजू जनता दल और वायआरएस जैसे एनडीए के बाहर के दल ने भी इसका समर्थन किया।


बिल पेश किए जाने पर विपक्ष ने हंगामा किया और असदुद्दीन औवेसी ने सदन में इसको फाड़ दिया। गृह मंत्री अमित शाह ने विधेयक पर उठे सवालों के जवाब देते हुए बताया कि इस विधेयक में मुस्लिमों को इसलिए शामिल नहीं किया गया है क्योंकि ये पाकिस्तान,अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आने वाले हिन्दू, सिख, ईसाई, बौद्ध, पारसी और जैन धर्म के मानने वालों को भारत की नागरिकता देने के लिए लाया गया है। इन तीनों ही देशों के संविधान में कहा गया है कि इस्लाम इनका राजधर्म हैं ऐसे में यह नहीं सोचा जा सकता है कि इन देशों में इस्लाम को मानने वालों के साथ धार्मिक आधार पर कोई दुर्व्यवहार होता होगा। लेकिन इसके बावजूद कांग्रेस व अन्य विपक्षी दल इसमें मुस्लिमों को शामिल करने की वकालत करते रहे। श्री शाह ने विपक्ष द्वारा इस विधेयक को संविधान द्वारा अनुच्छेद 14 में प्रदत्त समानता के अधिकार के विपरित बताए जाने पर कहा कि अनुच्छेद 14 के समानता के अधिकार के बावजूद अल्पसंख्यकों को कईं अधिकार दिए गए हैं।


इस बिल के समर्थन में बोलते हुए जेडीयू सांसद राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने साफ कहा कि यह धर्मनिरपेक्षता की भावना को मजबूत करने वाला बिल है। उन्होंने कहा कि यह विधेयक उन शरणार्थियों को नरक से निकालने वाला है, जो अपना घर और सम्मान छोड़कर आए हैं। यह बिल कहीं से भी धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत को चुनौती नहीं देता है। इसलिए ‘हम इस विधेयक का समर्थन करते हैं।


जेडीयू सांसद ने कहा कि इस विधेयक को भारतीय नागरिकों के बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक नजरिए में नहीं देखा जाना चाहिए। अगर पाकिस्तान के सताए गए अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता दी जाती है तो मुझे लगता है कि यह सही बात है। एनडीए की एक और अहम सहयोगी लोक जन शक्ति पार्टी ने भी बिल को अपना समर्थन दिया। एलजेपी के सांसद चिराग पासवान ने कहा कि हमारी पार्टी इस बिल का समर्थन करती है। इससे भारत के अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को कोई लेना-देना नहीं है। अब बिल को राज्य सभा में पेश किया जाएगा।

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