इस्लामाबाद में भी गूंजेगा बजरंग बली का जयकारा
मुल्ला मौलवियों के विरोध के बाद भी बनेगा हनुमान जी का मंदिर
इस्लामाबाद
पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद मेें नए हिन्दू मंदिर के निर्माण को लेकर चल रहा विवाद समाप्त हो गया है। इस मामले में मुल्ला और मौलवी मंदिर का विरोध कर रहे थे लेकिन उनके विरोध को पाकिस्तान की इस्लामिक विचारधारा परिषद (Council of Islamic Ideology-CII) ने मंदिर विरोध को खरिज कर दिया है।
सीआईआई ने कहा है कि जो लोग शरीया का हवाला देकर मंदिर का विरोध कर रहे हैं उन्हें शरीया को ठीक से पढ़ना चाहिए। न तो शरिया में मंदिर का विरोध किया गया है और न ही पाकिस्तान के संविधान में कोई विरोध है।
लियाकत-नेहरू समझौते के आधार पर हुआ निर्णय
सीआईआई ने संविधान और 1950 में हुए लियाकत-नेहरू समझौते के आधार पर यह निर्णय लिया है। सीआईआई ने सरकार को सैदपुर गांव में स्थित एक प्राचीन मंदिर और उससे सटी धर्मशाला को भी इस्लामाबाद के हिंदू समुदाय को सौंपने की अनुमति दी है। परिषद ने कहा, ‘इस्लामाबाद में वर्तमान आबादी के मद्देनजर सैदपुर गांव में स्थित एक प्राचीन मंदिर और उससे सटी धर्मशाला को हिंदू समुदाय के लिए खोला जाए और उनके लिए वहां पहुंचने की सुविधा उपलब्ध कराई जाए ताकि वे अपने धार्मिक अनुष्ठान कर सकें।’
इस निर्णय पर सीआईआई के 14 सदस्यों के हस्ताक्षर हैं और इसमें कहा गया कि देश के अन्य धार्मिक समूहों की तरह ही हिंदुओं को भी अपने धर्म के अनुसार अंतिम संस्कार करने के लिए एक स्थान का संवैधानिक अधिकार है। धार्मिक मामलों के मंत्रालय ने छह जुलाई को एक आवेदन सीआईआई के समक्ष भेजा था, जिसमें हिंदू समुदाय को शवदाह गृह, धर्मशाला और एक मंदिर के लिए भूमि आवंटित किए जाने को लेकर राय मांगी गई थी।
मुल्ला मौलवी बता रहे गैर इस्लामिक
पाकिस्तान सरकार ने शवदाह गृह और मंदिर निर्माण के लिए प्रधानमंत्री द्वारा 10 करोड़ रुपये आवंटित किए जाने के संबंध में भी परिषद का सुझाव मांगा था। तब से ही कट्टरपंथी मुस्लिम संगठन इसके खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। इस राशि को गैर इस्लामिक बताया जा रहा था। इस मामले में एक मुस्लिम ने इस्लामाबाद उच्च न्यायालय में याचिका भी दायर की थी। न्यायालय ने इस मामले की सुनवाई को रोक कर इसे सीआईआई से निर्णय से जोड़ दिया था। यानी कि अब यह याचिका भी खारिज हो जाएगी।
सरकारी धन पर सहमति नहीं
सीआईआई के अध्यक्ष किबला अयाज ने कहा कि परिषद ने मौलवियों और हिंदू समुदाय के विभिन्न संदर्भों को सुनने के बाद यह निष्कर्ष निकाला है। उन्होंने कहा, ‘शरिया के विभिन्न प्रावधानों को देखकर यह निर्णय लिया गया है। ‘ हालांकि, परिषद ने कहा कि वह मंदिर निर्माण के लिए सरकारी धन आवंटन का समर्थन नहीं किया जा सकता क्योंकि आमतौर पर ऐसा कोई चलन नहीं है कि सरकार धार्मिक पूजा स्थलों के लिए धन मुहैया कराए। हालांकि पाकिस्तान में मस्जिदों और मदरसों को जमकर सरकारी सहायता मिलती है।
3000 हिन्दू लेकिन एक भी मंदिर नहीं
इस्लामाबाद में अभी लगभग तीन हजार हिन्दू रहते हैं लेकिन पूरे इस्लामाबाद में एक भी मंदिर नहीं है। इस साल जून में इस्लामाबाद में इस हनुमान मंदिर का भूमि पूजन हुआ था लेकिन बाद में इसको लेकर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए तथा मामला कोर्ट में भी चला गया था। इसके बाद स्थानीय अधिकारियों ने इस मंदिर का निर्माण रोक दिया था।
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