चीन को मात देने के लिए 53 दवाओं में देश को आत्मनिर्भर बनाने की तैयारी में मोदी सरकार
इन दवाओं को बनाने पर बीस प्रतिशत नकद प्रोत्साहन देगी सरकार
नई दिल्ली
भारत इलेक्ट्रॉनिक्स के साथ ही बहुत सी दवाओं में चीन पर निर्भर है लेकिन यह स्थिति बहुत दिनों तक नहीं रहने वाली है। मोदी सरकार ने इस बारे जोरदार तैयारी की है। सरकार ने ऐसी 53 दवाओं के उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भर बनने की योजना बनाई है। मोदी सरकार ने इसके लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इन्सेंटिव (PLI) स्कीम को अधिसूचित कर दिया है। अभी ऐसी अधिकांश दवाओं के एपीआई या अन्य तत्व चीन से आयात किए जाते हैं।
माना जा रहा है कि पीएलआई के बाद भारत में स्वदेशी स्तर पर इन दवाओं के महत्वपूर्ण शुरुआती पदार्थ (drug intermediate) और एक्टिव फार्मास्यूटिकल्स इन्ग्रेडिएंट्स (bulk drugs) के उत्पादन होने लगेगा।
अभी इस योजना को प्रयोग के रूप में यह योजना चार माह के लिए लागू की गई है। इसे 2 जून से अगले चार महीने के लिए खोला गया है। इसमें निवेशक ऐसे किसी भी 53 ड्रग इंटरमीडिएटरी और बल्क ड्रग के उत्पादन के लिए नए कारखाने स्थापित करने का प्रस्ताव पेश कर सकेंगे। अभी इन दवाओं का चीन से आयात करना पड़ता है।
अभी इस सूची में ऐसे प्रमुख इन्ग्रेडिएंट शामिल हैं, जिनसे पैरासीटामॉल, एस्प्रिन, मेटफॉर्मिन, एटोरवेस्टाटिन जैसी दवाइयां बनती हैं। इस योजना के माध्यम से सरकार देश में ही दवाओं के लिए आवश्यक कच्चा माल तथा बल्क ड्रग के निर्माण को प्रोत्साहित करना चाहती है। इन दवाओं का आयात बढ़ता जा रहा है। गंभीर प्रयास से भारत इन दवाओं के मामले में आत्मनिर्भर हो सकता है।
क्या है सरकार की योजना
सरकार इस योजना में आने वाले उत्पादों को पहले चार साल तक उनकी वार्षिक विक्रय वृद्धि का 20 प्रतिशत प्रोत्साहन के रूप में मिलेगा। इसके बाद पांचवें और छठे साल में यह प्रोत्साहन क्रमश: 15 और 5 प्रतिशत हो जाएगा। केमिकली सिथेंसिस होने वाले उत्पादों पर पांच साल तक बिक्री बढ़त के 10 फीसदी हिस्से के बराबर प्रोत्साहन दिया जाएगा। सरकार इस प्रोत्साहन पर करीब 6,940 करोड़ रुपये खर्च करेगी। इसके बारे में अधिक जानकारी शीघ्र ही जारी की जाएगी।
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