हिन्दुओं के समर्थन के लिए ब्रिटेन की लेबर पार्टी ने अपनी पाकिस्तान  समर्थक नीति बदली

हिन्दुओं के समर्थन के लिए ब्रिटेन की लेबर पार्टी ने अपनी पाकिस्तान समर्थक नीति बदली

कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तानियों के साथ लंदन में भारतीय उच्चायोग के बाहर किया था हिसंक प्रदर्शन, अब भारत के समर्थन में

लंदन. एकात्म भारत
परंपरागत रूप से पाकिस्तान समर्थक रही ब्रिटेन की लेबर पार्टी ने भारत और हिन्दुओं की ताकत को पहचान लिया है। इन्हे लेकर पार्टी ने अपनी नीति में बदलाव किया है। पार्टी के नए अध्यक्ष कीर स्टर्मर इसकी घोषणा करते हुए कहा कि लेबर पार्टी कश्मीर या भारत के किसी भी मामले में दखल नहीं देगी। इतना ही नहीं स्टर्मर ने ब्रिटेन में रह रहे हिन्दुओं के समर्थन के लिए हिंदू फोरम ब्रिटेन के अध्यक्ष को चिट्ठी भी लिखी है।

लेबर पार्टी के नवनियुक्त नेता कीर स्टर्मर


ब्रिटेन में विपक्षी लेबर पार्टी के नवनियुक्त नेता कीर स्टर्मर ने अपनी पार्टी के रुख़ में बदलाव की घोषणा करते हुए कहा कि वो कश्मीर या भारत के किसी भी संवैधानिक मसले में दख़ल नहीं देगें। स्टर्मर ने गुरुवार को कहा, “भारत को कोई भी संवैधानिक मुद्दा भारतीय संसद के अंतर्गत आता है और कश्मीर भारत और पाकिस्तान का द्विपक्षीय मामला है।”


स्टर्मर ने कहा कि वो सुनिश्चित करेंगे कि उनके नेतृत्व में उपमहाद्वीप के इस विवाद (कश्मीर मसले) को लेबर पार्टी “ब्रिटेन में हमारे लोगों को बाँटने” के लिए उपयोग ना करें। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि उनके नेतृत्व में बनी लेबर सरकार, भारत के साथ “ज़्यादा मज़बूत रिश्ते बनाएगी।” उन्होंने कहा कि लेबर पार्टी का भारत के साथ लंबा और बेहतरीन रिश्ता रहा है और मैं चाहता हूं कि ये जारी रहे।
57 साल के कीर स्टर्मर ने चार अप्रैल को जर्मी कोर्बिन की जगह ली है। जर्मी के नेतृत्व वाली लेबर पार्टी की विचारधारा को धुर-वामपंथी माना जाता था। लेबर पार्टी के स्टैंड को देखते हुए ब्रिटेन में बसा भारतीय समुदाय उसे ब्रिटिश पाकिस्तानी समुदाय की ओर झुका हुआ मानता था।


इसलिए महत्वपूर्ण है ये बदलाव


ये बदलाव इसलिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि लेबर पार्टी पाकिस्तान की समर्थक रही है। पिछले साल कुछ लेबर सांसद लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग के बाहर हुए हिंसक प्रदर्शनों में भी शामिल हुए थे और लेबर कॉन्फ्रेंस के प्रतिनिधियों ने सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव भी पास किया था जिसमें जम्मू-कश्मीर के लोगों को “आत्मनिर्णय के अधिकार” देने की बात थी। साथ ही कश्मीर में “मानवाधिकारों के उल्लंघन” और “बड़े मानवीय संकट” की भी बात कही गई थी।
कश्मीर को लेकर लेबर पार्टी की नीति में बदलाव के बाद लग रहा है कि पार्टी हिन्दुओं को मनाने प्रयास कर रही है।


हिंदू फोरम को लिखा पत्र


कीर स्टर्मर ने लेबर पार्टी का प्रमुख बनने के बाद ये बातें हिंदू फोरम ब्रिटेन की अध्यक्ष तृप्ति पटेल को पत्र लिखा है। उन्होंने ये बातें इस पत्र में भी लिखी हैं। यह भी लिखा है कि मैंने अपनी नियुक्ति के तुरंत बाद अपने कार्यालय को आपसे संपर्क करने के लिए कहा है ताकि लेबर पार्टी और हिंदू समुदाय के लोगों के बीच के महत्वपूर्ण रिश्ते को फिर से बनाया जाए।
स्टर्मर ने लिखा कि मैं हिंदूओं के उस अमूल्य योगदान के बारे में जानता हूं, जो उन्होंने हमारे समाज में किया है। इसमें अर्थव्यवस्था से लेकर कला और संस्कृति के साथ-साथ विशेष रूप से कोरोना की महामारी के समय हमारी नेशनल हेल्थ सर्विस (एनएचएस) में किया उनका योगदान शामिल है।


भारत की पैरासिटेमॉल का असर


चुनाव में हिन्दुओं के समर्थन के लिएलेबर नेता स्टर्मर हाल ही में भारत ने जो पैरासिटेमॉल भेजी थी वह भी याद आई। उन्होंने कहा कि हाल में हमने देखा कि भारत और ब्रिटेन के बीच कितना महत्वपूर्ण रिश्ता है। भारत ने मुश्किल समय में हमें पैरासिटामोल बेची है।उन्होंने भारत के साथ मज़बूत व्यापारिक रिश्तों को बढ़ाने की भी पैरवी की और कहा कि वो लेबर पार्टी और भारतीयों के बीच एक नया रिश्ता शुरू करने के लिए भारतीय उच्चायुक्त से मिलना चाहते हैं।

इसके साथ ही कीर स्टर्मर ने लेबर फ्रेंड्स ऑफ इंडिया यानी एलएफआईएन की एक्जेक्युटिव टीम से भी मुलाक़ात की। एलएफआईएन के मुताबिक़ स्टर्मर ने कहा कि वो उनके साथ मिलकर काम करेंगे ताकि वेस्टमिंस्टर और स्थानीय सरकार के निर्वाचित पदों पर भारतीय मूल के ज्यादा लोगों को खड़े होने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके।उन्होंने ये भरोसा भी दिया कि पार्टी के अंदर भेदभाव के मामलों का जल्द से जल्द निपटारा किया जाएगा। इसके लिए उन्होंने स्वतंत्र शिकायत प्रक्रिया स्थापित करने की भी बात कही।


ब्रिटेन के वामपंथी हैं लेबर


इस बदलाव के महत्व को समझने के लिए आपको लेबर पार्टी के इतिहास को समझना होगा। जब भारत को स्वतंत्रता मिली उस समय क्लीमेंट एट्‌टली ब्रिटेन के प्रधानमंत्री थे और वे लेबर पार्टी के ही थे। इस तरह से भारत के विभाजन और पाकिस्तान के निर्माण में इस पार्टी की महत्वपूर्ण भूमिका थी। उसके बाद से ही लेबर पार्टी का ज्यादातर समय पाकिस्तान के समर्थन में ही गया। बीच-बीच में वे अपनी इस भूमिका में थोड़ा बहुत बदलाव करते रहे। भारत के विरोध में इनका एजेंड़ा कश्मीर में धारा 370 हटाए जाते समय खुलकर सामने आया था।

इस मामले में पाकिस्तानियों ने भारतीय दूतावास के बाहर हिंसक प्रदर्शन किया था। इसमें लेबर पार्टी के सांसद भी शामिल हुए थे। इस तरह से लेबर पार्टी घोषित रूप से भारत के विरोध में खड़ी हो गई थी। इस पार्टी का यही दृष्टिकोण सीएए के समय भी सामने आया था। वे भारत द्वारा पारित इस कानून के विरोध में पाकिस्तान के साथ सुर मिला रहे थे। इसके बाद पिछले कुछ समय से ब्रिटेन में रह रहे हिन्दू खुलकर लेबर पार्टी की विरोधी कंजर्वेटिव पार्टी के पक्ष में काम कर रहे हैं। लेबर पार्टी के भारत विरोधी रुख और कश्मीर मुद्दे पर उसकी नकारात्मक सोच से ब्रिटेन में भारतीय मूल के लोग भड़क उठे थे। लेबर पार्टी के खिलाफ चुनाव प्रचार में भारतीय उतर आए थे।


ओवरसीज बीजेपी भी खिलाफ
ओवरसीज फ्रेंड्स ऑफ भारतीय जनता पार्टी (ओएफबीजेपी) के पदाधिकारी भी मंदिरों में जाकर जनसंपर्क अभियान चला रहे हैं और कंजरवेटिव पार्टी के लिए वोट मांग रहे हैं। वे कंजरवेटिव पार्टी के समर्थन में वोट डालने की अपील कर रहे हैं। वे एंटी इंडिया, एंटी मोदी और एंटी हिंदू सोच रखने वाली लेबर पार्टी को खारिज करने का नारा लगा रहे हैं। यह पार्टी 1997 से 2015 तक ब्रिटेन में इसकी सरकार रही है। इस साल ब्रिटेन में पुन: चुनाव होने हैं और पार्टी को लग रहा है कि भारतीय हिन्दुओं के पास सरकार बनाने की चाबी है।

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