अगला नवरेह कश्मीर में मनाने का संकल्प सार्थक होगा – दत्तात्रेय होसबाले
1989-90 में कश्मीरी हिन्दुओं का सातवां विस्थापन था और यह अंतिम साबित होगा , बोले सरकार्यवाह
जम्मू
कश्मीरी हिन्दुओं को कई बार विस्थापित होना पड़ा। 1989-90 में कश्मीरी हिन्दुओं का सातवां विस्थापन था और यह अंतिम विस्थापन साबित होगा। कश्मीरी हिन्दुओं द्वारा अगला नवरेह कश्मीर में मनाने का संकल्प सार्थक होगा, ऐसा उन्हें पूर्ण विश्वास है। यह बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने नवरेह पर आयोजित तीन दिवसीय समर्पण, संकल्प और शौर्य दिवस के समापन अवसर पर कही।
सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने नवरेह की शुभमानाएं देते हुए कहा कि संकल्प में शक्ति होती है और जब संकल्प राष्ट्र धर्म और समाज के लिए हो तो उसमें शक्ति सौ गुणा बढ़ जाती है। विदेशी आक्रांताओं से हमारे पूर्वज सदियों तक संघर्ष करते रहे, लेकिन कभी हार नहीं मानी। जैसे शिर्य भट्ट जी ने त्याग और समर्पण का उदाहरण प्रस्तुत किया था और वैसे ही ललितादित्य जी ने शौर्य की मिसाल पेश की थी, इन हस्तियों के जीवन से शिक्षा लेकर इसका अनुसरण भी आवश्यक है। उन्होंने ललितादित्य के शौर्य का जिक्र करते हुए कहा कि कैसे बप्पा रावल के सहयोग से ललितादित्य ने अरबी आक्रमणकारियों को परास्त किया था।
कश्मीरी हिन्दुओ का संघर्ष ऐतिहासिक
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह ने कश्मीरी हिन्दुओं के त्याग और बलिदान की चर्चा भी अपने संबोधन में की। उन्होंने कहा कश्मीरी हिन्दुओं ने पिछले कई दशकों से त्याग, बलिदान और संकट सहते हुए जिस तरह से धर्म की रक्षा की, वह इतिहास में एक उदाहरण है। टीका लाल टपलू जी, जस्टिस नीलकंठ गंजू जी, सरला भट्ट व प्रेमनाथ भट्ट आदि कश्मीर में कितने ही लोग मजहबी उन्माद का शिकार हो गए, उनका अपराध केवल यह था कि वो हिन्दू जन्मे और कश्मीर में रहे.
कश्मीरी हिन्दुओं की रक्षा के लिए गुरु तेगबहादुर जी ने भी अपना बलिदान दिया था. कश्मीरी हिन्दुओं को कई बार विस्थापित होना पड़ा, 1989-90 में कश्मीरी हिन्दुओं का सातवां विस्थापन था और यह अंतिम विस्थापन साबित होगा. उन्होंने कहा कि कश्मीरी हिन्दुओं द्वारा अगला नवरेह कश्मीर में मनाने का संकल्प सार्थक होगा, ऐसा उन्हें पूर्ण विश्वास है.
नवरात्रि ही नवरेह
कश्मीरी भाषा में नवरात्रि को नवरेह कहते हैं। 1989-90 के विस्थापन के बाद इस बार के चैत्र नवरात्रि को पहलीबार त्याग एवं समर्पण, संकल्प और शौर्य दिवस के रुप में मनाया। संजीवनी शारदा केंद्र, जम्मू कश्मीर द्वारा आयोजित यह महोत्सव 12 अप्रैल को त्याग दिवस के साथ प्रारंभ हुआ, 13 अप्रैल नवरेह को संकल्प दिवस और समापन बुधवार को सम्राट ललितादित्य के विजय दिवस को शौर्य दिवस के रुप में मनाया। तीन दिवसीय मोहत्सव का समापन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले जी के संबोधन के साथ हुआ।
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