अब अयोध्या को बौद्ध धर्म से जोड़ने का षड्यंत्र

अब अयोध्या को बौद्ध धर्म से जोड़ने का षड्यंत्र

बाबरी में हारे लोग खोज रहे बौद्ध में उम्मीद, अवशेषों को अशोक के काल का बताकर नए विवाद की तैयारी

अयोध्या
अयोध्या में नए राम मंदिर के निर्माण के लिए भूमि के समतलीकरण के दौरान राम जन्मभूमि ने वहां मंदिर होने के और भी अकाट्य प्रमाण दिए हैं। 11 मई से प्रारंभ हुई जन्मभूमि के समतलीकरण में मंदिर के अवेशष मिले हैं। इसके अलावा भारी संख्या में देवी-देवताओं की खंडित मूर्तियों के अलावा 7 ब्लैक टच स्टोन के स्तम्भ, 6 रेड सैंडस्टोन के स्तम्भ सहित 5 फ़ीट का एक शिवलिंग भी मिला है। खुदाई के दौरान पुरातत्विक महत्व की कई वस्तुएं मिली हैं जैसे- कलश, पुष्प, आमलक आदि। लेकिन अब विध्न संतोषियों ने इस मामले में हिन्दुओं के खिलाफ बौद्ध धर्म को खड़ा का करने का कुत्सित प्रयास प्रारंभ कर दिया है।


जैसे ही श्री राम जन्मभूमि स्थल से भूमि समतलीकरण के दौरान पुराने मंदिरों के अवशेष निकलने के समाचार सामने आए तो “सिक्युलरिस्ट” सक्रिय हो गए और अपने घरों में बैठे-बैठे ही इन अवशेषों को अशोक के काल का घोषित करते हुए उन्होंने श्री राम जन्मभूमि को बौद्ध धर्म से जोड़ने के प्रयास प्रारंभ कर दिए। इन लोगों ने इसके पक्ष में सोशल मीडिया पर हैशटैग भी चलाए। लेकिन इन हैशटैग को चलाने वालों को देखकर पता चलता है कि ये वही लोग हैं जो कि बाबरी मस्जिद मामले में न्यायालय में मुहं की खा चुके हैं। ऑल इंडिया मिल्ली काउंसिल के महासचिव खालिक अहमद खान ने दावा किया था कि जो अवशेष मिले हैं, वे बौद्ध धर्म से जुड़े हुए हैं।

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वहीं इस मामले में राम मंदिर के पक्ष में भी प्रतिक्रियाएं आई हैं। फिल्म कलाकार मनोज जोशी ने ट्वीट किया कि ‘अयोध्या में आज दूध का दूध और पानी का पानी हो गया। जय श्री राम!’


2018 से प्रारंभ हुआ था षड्यंत्र

इस मामले में अयोध्या निवासी विनीत कुमार मौर्य ने साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। विनीत का दावा था कि विवादित स्थल के नीचे कई अवशेष दबे हुए हैं जो अशोक काल के हैं और इनका कनेक्शन बौद्ध धर्म से है। याचिका में दावा किया गया था कि बाबरी मस्जिद के निर्माण से पहले उस जगह पर बौद्ध धर्म से जुड़ा ढांचा था। मौर्य ने अपनी याचिका में कहा था, ‘एएसआई की खुदाई से पता चला है कि वहां स्तूप, गोलाकार स्तूप, दीवार और खंभे थे जो किसी बौद्घ विहार की विशेषता होते हैं।’ मौर्य ने दावा किया था, ‘जिन 50 गड्ढों की खुदाई हुई है, वहां किसी भी मंदिर या हिंदू ढांचे के अवशेष नहीं मिले हैं।’
बाबरी के खेल में असफल रहने के बाद अब इसे बौद्ध के नाम पर उलझाने का षड्यंत्र बहुत पहले ही रच दिया गया था। हालांकि इतिहास की किसी भी पुस्तक में इसका बौद्ध धर्म से संबंध नहीं मिला है।

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