इन संगठनों ने सुलगाई है नागरिकता बिल पर आंदोलन की चिंगारी : खुफिया रिपोर्ट
रिपोर्ट में कुछ राजनीतिक दलों के साथ ही प्रतिबंधित संगठनों सिमी और पीएफआई पर संदेह
नई दिल्ली
नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएबी) के विरोध में देश में विभिन्न स्थानों पर चल रहे हिंसक प्रदर्शनों के बीच गृह मंत्रालय के साथ साझा की गई ताजा खुफिया रिपोर्ट में कुछ राजनीतिक दलों के साथ ही प्रतिबंधित चरमपंथी और आतंकवादी इस्लामी कट्टरपंथी संगठनों सिमी और पीएफआई पर संदेह जाहिर किया गया है। सूत्रों का कहना है कि पिछले हफ्ते मंत्रालय के साथ साझा की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि यह उन लोगों की करतूत है, जो सरकार के कदम के खिलाफ हैं।
मंत्रालय के सूत्रों ने कहा, “कुछ राजनीतिक दलों ने विभिन्न स्थानों पर हिंसक कृत्यों को प्रज्वलित किया, जिससे चरमपंथी और उग्रवादी इस्लामी कट्टरपंथी संगठनों पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया और इस्लामिक स्टूडेंट मूवमेंट ऑफ इंडिया के स्लीपर सेल को अवसर मिला। रिपोर्ट में कहा गया है कि पीएफआई, जो खुद को न्याय, स्वतंत्रता और सुरक्षा सुनिश्चित करने व लोगों को सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध होने का दावा करता है, उसके पास राष्ट्रीय महिला मोर्चा और कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया सहित विभिन्न विंग हैं, जो स्थिति का लाभ उठा सकते हैं। पीएफआई के चलते ही एक वर्ग के शिक्षण संस्थानों में इसका विरोध अधिक देखने में आ रहा है। सरकार से जुड़े कुछ अन्य व्यक्तियों ने भी इसी तरह की आशंका जताई है।
छात्र आंदोलनों में घुसे‘जिहादी, माओवादी और अलगाववादी’- निर्मला सीतारमन
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को आगाह किया कि छात्र आंदोलनों में ‘जिहादी, माओवादी और अलगाववादी’ घुस रहे हैं। उन्होंने कहा कि देशभर में चल रहे प्रदर्शनों से आर्थिक एजेंडा बेपटरी नहीं होगा।
सीतारमण ने यह टिप्पणी संशोधित नागरिकता कानून के विरोध में बीते कुछ दिनों से देशभर के कई विश्वविद्यालयों में जारी प्रदर्शनों की पृष्ठभूमि में की। उन्होंने विश्वविद्यालयों में माओवादी या अलगाववादी प्रवृत्ति वाले ‘बाहरी समूहों’ का समर्थन करने पर कांग्रेस पार्टी को ‘पथभ्रष्ट’ कहते हुए निशाना साधा। सीतारमण ने कहा कि जिस पार्टी ने भारत को आजादी दिलवाने में मदद की उसे स्वतंत्रता के बाद ही खत्म कर देना चाहिए था क्योंकि उसके एजेंडा में ‘राष्ट्र निर्माण’ नहीं है और यह एक परिवार की दास बनकर रह गई है। एक राजनीतिक दल होने के नाते हम ऐसे छात्र आंदोलनों को बढ़ावा नहीं दें जो देश के खिलाफ हैं। छात्र आंदोलन या प्रदर्शन एक चीज है लेकिन इनमें जिहादियों, माओवादियों या अलगाववादियों का मिल जाना एक अलग बात है। और हमें इससे सतर्क रहना चाहिए।’
Recent Comments