इसाईयों की भगवा ब्रिगेड !
चर्च के नाम में मंदिर क्यों ?मसीही मंदिर चर्च के नाम पर अपत्ति लेने पर इसाईयों ने की पुलिस में शिकायत
इंदौर.
हर धर्म के पूजा स्थल की अपनी पहचान है जैसे हिन्दुओ के धर्म स्थल मंदिर कहलाते हैं तो मुस्लिमों के मस्जिद इसी तरह से इसाईयों के पूजा स्थल चर्च के नाम से जाने जाते हैं। लेकिन इसका एक अपवाद भारत के इसाईयों ने पेश किया है। इन्होंने भारत में मसीही मंदिर के नाम से चर्च बनाए हैं। यदि आप अपने शहर में ही देखेंगे तो शायद आपको वहां भी मसीही मंदिर चर्च देखने में आ सकता है। अब सवाल ये है कि ये मंदिर है या चर्च, या फिर कोई गड़बड़झाला?
इंदौर के एक युवा ने इसी विषय पर सवाल उठाते हुए फेसबुक पर एक पोस्ट की। इसमें उन्होंने उज्जैन के मसीही मंदिर चर्च को फोटो पोस्ट करते हुए
लिखा कल किसी काम से अचानक उज्जैन जाना हुआ। रास्ते में मुझे बहुत ही अजीब सा दृश्य दिखा। एक जगह लिखा हुआ था मसीही मंदिर चर्च। मुझे समझ नहीं आया। बाद में मैंने इंटरनेट पर जानकारी खंगाली तो पता चला कि भारत में इस तरह के कई मसीही मंदिर चर्च देशभर में तेजी से खुल रहे हैं। रोचक बात यह रही कि दुनिया में कहीं भी मुझे मसीही मस्जिद चर्च नहीं मिला।
इसके बाद अर्जुन ने अपनी पोस्ट में लिखा कि
कई लोगों से बातचीत के बाद मुझे यह भी पता चला कि आदिवासी और वनवासी क्षेत्रों में जहां लोग चर्च में जाना पसंद नहीं करते वहां इन मसीही मंदिर चर्च में एक नई शुरुआत की गई है। इन मसीही मंदिरों में उनके स्थानीय त्योहार मनाए जाते हैं और उनके बहाने लोगों को वहां बुलाया जाता है। सही बात भी है। आपने एक बढिय़ा मंच दे दिया। यहां खानपान है, व्यवस्थाएं हैं, साजिश की बू में लपेटा हुआ प्रेम है और इसके साथ और भी बहुत कुछ है। कोई गांव वाला क्यों वहां अपना त्योहार मनाने नहीं जाएगा।
पुलिस में शिकायत
हालांकि भारत में षड्यंत्रों की बात करना कम खतरनाक नहीं है। इस मुद्दे अपनी धार्मिक आजादी से जोड़कर पुलिस में शिकायत की गई। पुलिस ने बढ़ते दबाव को देखते हुए मामले को जांच के लिए थाने भेज दिया है और अब अर्जुन पर इस पोस्ट को हटाने और माफी मांगने के लिए दबाव बनायाा जा रहा है। जबकि इस इन लोगों को पहले इस बात का जवाब देना चाहिए कि आखिर चर्च के नाम पर मंदिर क्यों है? मामला जांच में है लेकिन जल्दी केस दर्ज करने का दबाव अब भी बनाया जा रहा है। हालांकि इस बात का कोई जवाब नहीं दिया गया है कि मंदिर और चर्च एक ही हैं या अलग-अलग ?
इसाईयों की भगवा ब्रिगेड !
इस देश में भगवा वस्त्र और मंदिर दो ऐसी मान्यताएं हैं जिसके लिए 90 प्रतिशत हिन्दू इंकार नहीं करेंगे। यहीं से इनका उपयोग धर्मांतरण में करने की शुरुआत होती है। पिछले कुछ समय से इस तरह के समाचार मिल रहे हैं कि धर्मांतरण के लिए भगवा वस्त्रों का उपयोग किया जा रहा है। ताकि हिन्दुओं को यह न लगे कि उनसे मिलने भगवा वस्त्र पहनकर जो व्यक्ति आए हैं वे दरअसल हिन्दू संत हैं। औऱ जब वार्तालाप में हिन्दू संत दूसरे धर्म की वकालत करने लगे तो एक दम से विरोध भी नहीं होता है। उल्टे आसानी होती है।
इस मामले में भोपाल के निकट ओबेदुल्लागंज में हाल ही में एक ज्ञापन भी सौंपा गया है। ज्ञापन सनातनसंस्कृति के अध्यक्ष कृष्णगोपाल पाठक तथा सेवा न्यास के द्वारा दिया गया है और इसमें मांग की गई है कि हिंदुओं को भ्रमित करने के लिए ईसा मसीह को हिंदू देवताओं की तरह वेश-भूषा या पौषाक पहनाकर, ईसाई फादर को हिंदू सन्यासियों या साधु संतों की तरह भगवा वस्त्र पहनाकर जो अपनी पूजा पद्धति और अपनी संस्कृति की ओर खींचने का प्रयास कर रहे हैं उसको तत्काल बंद कराएं, उस पर रोक लगाएं ।
2008 में सामने आया था पहला भगवा ईसाई बाबा
केरल निवासी सेबेस्टियन ने भगवा वस्त्र धारण कर रखे थे। वे सीएमसी सेमिनरी से शिक्षा ले चुके थे और हरियाणा में फरीदाबाद में योग और आयुर्वेद की सेवाएं दे रहे थे। वे अपने भगवा चोले के चलते ईसाई बाबा के नाम से ही जाने जाते थे। गांव वालों ने इन बाबा के लिए आश्रम बनवा दिया था। इन बाबा ने स्वयं स्वीकार किया था कि वे बद्रीनाथ जैसे हिन्दू तीर्थ भी गए और वहाँ वे अन्य लोगों के साथ जानकारी का आदान प्रदान करते रहे। हालांकि उन्होंने इस बात से इंकार किया कि वे धार्मिक शिक्षा देते हैं।हालांकि पिछले कुछ समय से इस तरह के फोटो मिल रहे हैं जिसमेें भगवा वस्त्र धारी ईसाई दिखाई दे रहे हैं।
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