हिन्दुओं के नाम से सिम चला रहे थे कईं तबलीगी
बिहार के मधेपुरा और झारखंड के लोहरदगा में सामने आए मामले
तबलीगी जमातियों के बारे में एक और चौकाने वाला खुलासा हुआ है कि इन लोगों ने दूसरे के नाम से सिम ले रखी थी। यहां तक के कुछ नाम से हिन्दू समुदाय के भी हैं। इस तरह के मामले झारखंड़ और बिहार में सामने आए हैं। बिहार और झारखंड़ में मरकज में भाग लेने वाले तबलिगीयों के खोज में लगे पुलिस अधिकारियों ने इस बात का खुलासा किया है।
सबसे पहले इस तरह के मामले बिहार में सामने आए हैं। बिहार के मधेपुरा में जिले से मरकज में शामिल होने वाले 43 लोगों के नाम आए हैं। इस सूची में तबलिगियों के नाम, पते और मोबाइल नंबर दिए हैं। इनकी प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि इनमें से कुछ नंबर हिन्दू व्यक्तियों के नाम पर हैं तथा कुछ नंबर मुस्लिम समुदाय के उन लोगों के नाम पर हैं जो कि या तो दिल्ली गए नहीं या फिर कईं दूसरे राज्यों में काम करने के लिए गए हुए हैं।
मधेपुरा के सीएस डॉ. सुभाष चंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि जिन तबलिगियों की सूची आई है, उनमें से अधिकतर तो अभी मधेपुरा पहुंचे नहीं हैं। श्रीवास्तव ने बताया कि जिले के ग्वालपाड़ा में दो लोगों के मरकज में शामिल होने की सूचना मिली है लेकिन मोबाइल नंबर से पता चला है कि वे दोनों ही मुस्लिम समुदाय के नहीं है। पुलिस के अनुसार बहुत सी सिम मुस्लिम समुदाय के उन लोगों के नाम से ली गई हैं जो कि मरकज में गए ही नहीं थे। इस तरह के मामलों में चौसा प्रखंड के चंदा गांव के जिस व्यक्ति का नाम इस सूची में है उसके नाम की सिम उसके मधेपुरा के साहुगढ़ निवासी साढ़ू के पास है। जो दिल्ली के निजामुद्दीन में एक रेडिमेड कपड़े की फैक्ट्री में काम करता है। अभी भी वह दिल्ली के निजामुद्दीन में ही है। जबकि चंदा निवासी पिछले 6 वर्षों से घर पर ही है। जबकि दूसरा व्यक्ति अभी बिहारीगंज के गमैल में रहता है। उसके नाम का सिम कोई अन्य इस्तेमाल कर रहा है। जो गया जिले के डुमरिया का है। अभी दिल्ली में रहता है। पूछताछ में पता चला कि उसके परिवार के सभी लोग गांव में रहते हैं। कुछ समय पहले मद्रास में रहते थे। अभी वर्तमान में बिहारीगंज थाना अंतर्गत गमैल में गांव में ही रह रहे हैं। तीसरा नाम दूसरे समुदाय का है। उसका ससुराल कलासन में है, जबकि वह पूर्णिया जिले के धमदाहा थाना क्षेत्र का है। वह करीब 13 वर्षों से दिल्ली के महरौली खानपुर में किराए के मकान में रहता है। चौथा पैना गांव का है। जो अभी दिल्ली के नेहरू प्लेस, कालका जी में राजमिस्त्री का काम करता है।
झारखंड में भी यही स्थिति
झारखंड के लोहरदगा से मरकज में तीन लोगों के भाग लेने की जानकारी स्थानीय पुलिस को मिली थी। इनके जो मोबाइल नंबर दिए गए थे उनकी जांच करने पर पता चला कि इनमें से दो सिम हिन्दू नामों से ली गई हैं। इनमें एक स्थानीय आदिवासी व्यक्ति भी है। इसके अलावा मरकज में भाग लेने वाले जमातियों की सूची में लोहरदगा के सरकारी कार्यालय के कर्मचारी का नाम सामने आया था। जिसके बाद, स्वास्थ्य विभाग ने तुरंत व्यक्ति की और उसके साथ मिले एक और व्यक्ति को आइसोलेशन वार्ड में भर्ती किया। उसके बाद उनके सैंपल की जांच कराई, जिसकी रिपोर्ट निगेटिव आई थी।
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nice job