दो घंटे तक पलटी हुई गाड़ी में पुलिस का इंतजार करते रहे हिंसक भीड़ से घिरे संत
पालघर घटना उम्मीद से ज्यादा भयावह है, ईनामी नक्सली ने मानी थी क्षेत्र में नक्सलियों की सक्रियता
मुंबई. एकात्म भारत
पालघऱ की घटना का पोस्टमार्टम जारी है। इसमें चौकाने वाली जानकारियां मिल रही हैं। जैसे-जैसे ये जानकारियां सामने आ रही हैं। संदेह का दायरा बढ़ता जा रहा है। अब जानकारी मिली है कि 16 अप्रैल की रात साढ़े नौ बजे संतों का गाडी गढ़चिंचले की फॉरेस्ट चौकी पर पहुंची थी इसके बाद ही पीछे से आई भीड़ ने गाड़ी को पटली खिला दी थी और इसी अवस्था में संत इस वाहन में रात साढ़े ग्यारह बजे तक पुलिस के आने तक भीड़ से घिरे बैठे रहे।
यह जानकारी मुंबई के सांध्य दैनिक ने वन विभाग की उस चौकी पर तैनात दोनों चौकीदारों के हवाले से प्रकाशित की है। प्रकाश लक्ष्मण वासवत और सोनूदाजी की बोरसा, ये दोनों वन विभाग में चौकीदार हैं और दोनों विभाग के जावहर डिवीजन में तैनात हैं। ये दोनों 16 अप्रैल की रात को को भी वन विभाग की चौकी पर तैनात थे। वो बताते हैं कि रात नौ बजे एक वाहन (संतों का वाहन) चौकी की तरफ आ रहा था और उसके पीछे लोगों की भीड़ थी। भीड़ ने इन दोनों से कहा कि वे वाहन को रोकें उसमें बच्चा चोर हैं। साथ ही इनका कहना है कि भीड़ ने कहा कि यदि वे इस वाहन को नहीं रोकेंगे तो उनकी पोस्ट पर तोड़फोड़ लगा दी जाएगी।
जैसे ही इन्होंने वाहन को रोका तो देखा कि उसमें तीन लोग हैं। चिकने महाराज (कल्पवृक्षनाथ गिरी) पीछे की सीट पर बैठे थे। उन्होंने बताया कि वे सूरत जा रहे हैं लेकिन पुलिस ने उनके वाहन को रोक दिया अब वे वापस कांदीवली मुंबई जा रहे हैं। इस बातचीत के दौरान ही सैंकड़ों की भीड़ ने वाहन को घेर लिया और स्थानीय निवासी राजेश सोमा भावेर ने पीछे के टायर की हवा निकाल दी। इसके बाद उसने ड्राईवर साईड की खिड़की का कांच फोड़ा। इसके बाद आगे का कांच भी फोड़ दिया। इसके बाद भीड़ पर पागलपन सवार हो गया। उन्होंने संतों के वाहन को पलटा दिया। ये देखकर बोरसा ने वासवत से कहा कि फॉरेस्ट ऑफिसर अभीजीत कदम को जानकारी देने को कहा।
वासवत ने कदम को फोन लगाया और बताया कि भीड़ पर पागलपन सवार है। कदम ने उन्हें कासा पुलिस स्टेशन के प्रभारी आनंदराव काले का नंबर दिया और इसकी जानकारी उन्हें देने को कहा। वासवत वे काले को जानकारी दी। काले ने वासवत से कहा कि क्या वो दोनों संतों और उनके ड्राइवर को पुलिस स्टेशन ला सकता है। इस पर वासवत ने उन्हें कहा की ढ़ाई हजार की भीड़ यहां जमा है और इसके चलते उसके लिए ऐसा करना संभव नहीं है। इस पर काले ने कहा कि वो अपनी टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच रहे हैं। वासवत ने बताया कि इलाके में हर चार सौ मीटर पर पत्थर और झाड़ियां लगाकर रास्ता रोका हुआ था। इसके चलते पुलिस दल को वहां पहुंचने में बहुत समय लगा।
सरपंच और जिला परिषद अध्यक्ष की गाड़ी में भी की तोड़फोड़
इस बीच रात दस बजे स्थानीय सरपंच चित्रा चौधरी मौके पर पंहुचीं। वासवत ने कहा कि उन्होंने भीड़ को रोकने का प्रयास किया लेकिन भीड़ ने उनकी गाड़ी में भी तोड़-फोड़ की।
पुलिस रात साढ़े ग्यारह बजे जिला परिषद के अध्यक्ष कैलाश चौधरी के साथ घटना स्थल पर पहुंची। चौधरी ने हाथ जोड़कर भीड़ से संतों को छोड़ देने को कहा लेकिन भीड़ नहीं मानी और कैलाश चौधरी के वाहन में भी तोड़-फोड़ की गई। भीड़ ने संतों के वाहन को घेर रखा था। पीएसआई सुधीर कटारे और उनकी टीम बड़ी मुश्किल से वाहन तक पहुंची और उन्होंने तीनों को वाहन से बाहर निकलने को कहा। वाहन चालक तिलघाटे और युवा संत सुशील गिरी वाहन से बाहर निकले और पुलिस की गाड़ी की तरफ भागे। वे भीड़ से बचकर पुलिस वाहन में बैठ गए।
बुजुर्ग महंत जिन्हें वासवत चिकने महाराज कहकर संबोधित करता है, वे वाहन में ही रह गए। अधिक आयु के चलते उन्हें पलटे हुए वाहन से निकलने में परेशानी हो रही थी। लेकिन वे जैसे ही वाहन से बाहर निकले भीड़ ने उन पर लाठी और रॉड से हमला कर दिया। वे गिरे लेकिन हिम्मत करके उठे और फॉरेस्ट चौकी के अंदर भागने में सफल रहे। भीड़ फॉरेस्ट चौकी में घुस गई। पुलिस वाले भी चौकी में महंत को बचाने के लिए घुसे, लेकिन वासवत के अनुसार भीड़ ने पुलिस वालों की भी पिटाई की। वासवत और बोरसा ने यह देखकर चौकी छोड़ दी। उन्होंने बताया कि अपने जीवन में उन्होंने कभी ऐसी भीड़ नहीं देखी जो किसी की जान लेने पर उतारू थी। हमें कभी नहीं लगा कि मनुष्य इतना क्रूर हो सकता है।
इस घटना के बाद से दोनों फॉरेस्ट गार्ड इस चौकी पर नहीं गए हैं। बताया जा रहा है कि घटना के बाद बहुत से आरोपी रात को अपने घऱ् पहुंचे और जरुरत का सामान लेकर परिवार सहित पहाड़ों में भाग गए हैं। वासवत और बोरसा पुलिस के साथ इन लोगों की पहतान करने में लगे हैं। वे बताते हैं कि वहां छिपे आरोपी पुलिस पर पथराव करते हैं। ये दोनों इस मामले में प्रमुख गवाह हैं। इसके चलते आरोपियों के परिजन इन्हें धमका भी रहे हैं। बोरसे को मुख्य आरोपी राजेश सोमा भावेर की मां राधी ने कहा कि मेरा बेटा नहीं छूटा तो मैं तुझे भी मार दूंगी। बोरसा ने इसकी शिकायत कासा पुलिस स्टेशन पर की है। इसके बाद पुलिस ने राधी के खिलाफ केस दर्ज किया है।
नक्सली सक्रिय
इस घटना में गढ़चिंचले के अलावा दाभड़ी, दिवाशी, किन्होली, चलनी आदि गांवों के लोग भी शामिल थे। बोरसा ने दबी जुबान में क्षेत्र में कुछ लोगों पर नक्सलियों के प्रभाव को स्वीकार किया है। इस क्षेत्र में नक्सलियों के सक्रिय होने की जानकारी छत्तीसगढ़ पुलिस को है। इस क्षेत्र के निवासी पहाड़ सिंह नाक नक्सली को छत्तीसगढ़ पुलिस ने 2018 में पकड़ा था। इसके सिर 47 लाख रुपए का ईनाम था और ये मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ (एसएससी) जोन का कमांडर था। छत्तीसगढ़ के आईपीएस जीपी सिंह ने उससे पूछताछ की थी, जिसमें पहाड़ सिंह ने पालघर और दहानु में नक्सली गतिविधियों की जानकारी दी थी। उसने इस क्षेत्र के आनंद तेलतुमड़े और उसके भाई के साथ संपर्कों की बात भी स्वीकारी थी।
सरकार के खिलाफ लोगों को भड़का रहे कुछ एनजीओ
बाहरी तत्वों की मौजूदगी जावहर डिवीजन के डिप्टी फॉरेस्ट कंजरवेटर अमित कुमार मिश्रा ने कहा कि क्षेत्र में कईं ऐसे बाहरी तत्व सक्रिय हैं जो कि सरकार के खिलाफ स्थानीय निवासियों को भड़काते हैं। इस क्षेत्र के कईं हिस्सों में वन्य जीवन को नुकसान पहुंचाया जा रहा है, जंगल उजाड़े जा रहे हैं। जब हम इन मामलों में कार्रवाई करके केस दर्ज करते हैं, काश्तकारी सगठन जैसे एनजीओ ग्रामीणों को उकसाते है। इसके चलते एक बार पांच हजार लोगों ने वन विभाग के कार्यालय को घेर लिया था, जिसके बाद हमें केस वापस लेने पड़े थे। मिश्रा का कहना है कि इन संगठनों द्वारा ग्रामीणों से कहा जाता है कि वन्य अधिनियम, इंडियन पेनल कोड तथा क्रीमिनल प्रोसीजर का विरोध करें।
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