योगी आदित्यनाथ ने खुद तुड़वाई अपने मठ की दुकानें
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने एकबार फिर उदाहरण प्रस्तुत किया है। उन्होंने सड़क चौड़ीकरण के प्रॉजेक्ट के लिए अपने ही गोरखनाथ मंदिर की दीवाल ढहा दी है।
गोरखपुर
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक बार फिर बताया कि उनके लिए फर्ज से पहले कुछ नहीं है। गोरखपुर से सोनौली के लिए बन रहे फोरलेन के लिए उन्होंने गोरखनाथ मंदिर की दीवार को ढहा कर औरों के लिए एक नया मानक तय कर दिया।
सीएम ने इसके साथ ही एक बड़ा संदेश भी दे दिया है। उन्होंने यह साफ कर दिया है कि विकास के रास्ते में मंदिर हो या मस्जिद, चर्च हो या गुरुद्वारा, मजार हो या अन्य कोई धार्मिक स्थल, किसी को भी स्पेशल ट्रीटमेंट नहीं दिया जाएगा।
हाल के दिनों में यह दूसरी बार है जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बड़ी नजीर पेश की है। इसके पहले लॉकडाउन का पालन करते हुए अपने पिता के अंतिम संस्कार में न जाकर उन्होंने बताया कि राजधर्म क्या होता है, एक बड़े परिवार का मुखिया होने का क्या मतलब होता है। गोरखपुर फोरलेन के रास्ते में आने वाले किसी और को अपने मकान और दुकान के ध्वस्तीकरण पर किसी को आपत्ति न हो इसके लिए इसके लिए मुख्यमंत्री होने के बावजूद उन्होंने अपने मंदिर की दीवार को ढहाने का आदेश दे दिया। बाकियों की दुकान और मकान के ध्वस्त होने पर वाया गोरखनाथ मंदिर, धर्मशाला, मोहद्दीपुर, कूड़ाघाट और नंदानगर होते हुए एयरपोर्ट तक का आना-जाना आसान हो जाएगा गौरतलब है कि मुख्यमंत्री होने के बाद और बतौर सांसद योगी आदित्यनाथ बार-बार यह कहते रहे हैं कि जनहित और विकास एक दूसरे के पूरक हैं।
इसमें किसी तरह की बाधा स्वीकार्य नहीं है। लोक कल्याण के लिए विकास हर जनप्रतिनिधि का फर्ज है। गोरखपुर के मोहद्दीपुर से जंगल कौड़िया तक करीब 17 किलोमीटर लंबे फोरलेन के निर्माण में आड़े आ रहीं गोरखनाथ मंदिर परिसर से सटी करीब 100 दुकानों को तीन दिन में ध्वस्त कर दिया गया है। दुकानें तोड़ने का क्रम जारी है। मंदिर की करीब दो सौ दुकानें तोड़ी जाएंगी।
जब लॉकडाउन के बाद फोरलेन का निर्माण शुरू होने के बावजूद उन्होंने दुकानों को खुद नहीं तोड़ा तो राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण प्राधिकरण ने इन दुकानों को तोड़ना शुरू कर दिया। फोरलेन के निर्माण के जद में गोरखनाथ मंदिर की करीब 200 दुकानों के अलावा निजी लोगों की भी कुछ दुकानें हैं। रखपुर वासियों को गोरखनाथ मंदिर के आसपास घंटों जाम से जूझना पड़ता था। सड़कों पर दुकानदारों का कब्जा रहता था। ऐसे में दुकानों के हटने से लोगों को विकास के साथ-साथ जाम से भी पीछा छूटेगा।
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