दिल्ली दंगों में मुस्लिम भीड़ ने हिन्दू युवक को जिंदा जलाया, बोली दिल्ली पुलिस
दिल्ली पुलिस ने 12 लोगों के खिलाफ दायर किया आरोप पत्र , सीएए-एनआरसी विरोधी दंगों में मुस्लिम भीड़ हिन्दुओं की संपत्तियों को नुकसान पहुंचा रही थी
नई दिल्ली .
दिल्ली पुलिस ने गुरुवार दिल्ली दंगों के एक मामले में आरोप पत्र प्रसतुत किया। इसमें बताया गया है कि उत्तरी-पूर्वी दिल्ली में फरवरी में हुए साम्प्रदायिक दंगों के दौरान मुस्लिम भीड़ हिन्दुओं की संपत्ति को नुकसान पहुंचा रही थी। इसी भीड़ ने एक व्यक्ति को मिठाई की दुकान के भीतर कथित रूप से जिंदा जला दिया। पुलिस ने इस मामले में कल संशोधित आरोप पत्र दायर किया है।
मामला संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान फरवरी में भड़की हिंसा का है। इसके संबंध में पांचवां आरोप पत्र दाखिल करते हुए दिल्ली पुलिस ने मिठाई की दुकान में काम करने वाले दिलबर नेगी की हत्या के आरोप में 12 लोग को नामजद किया है।
अपराध शाखा ने मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट रिचा परिहार की कोर्ट में गुरुवार को आरोप पत्र प्रस्तुत किया है। मजिस्ट्रेट ने मामले पर अगली सुनवाई के लिए 18 जून की तिथि नियत की है। इस मामले में पुलिस ने सभी आरोपियों को पकड़ लिया था। ये सभी अभी न्यायिक हिरासत में हैं।
गोदाम से मिला था नेगी का शव
आरोप पत्र में इन लोगों पर हत्या के साथ-साथ दंगा करने, धर्म के आधार पर समूहों के बीच वैमनस्य को बढ़ावा देने, आपराधिक षड्यंत्र रचने का भी आरोप लगाया गया है। इसके अनुसार, 24 फरवरी को मुस्लिम समुदाय की भीड़ उत्तरी-पूर्वी दिल्ली के बृजपुरी पुलिया की ओर से आयी और दंगा शुरू कर दिया। इस भीड़ ने हिन्दुओं की संपत्ति का निशाना बनाया और देर रात तक उन्हें जलाते रहे। इस आरोप पत्र में कहा गया है, उस दिन भीड़ द्वारा जलायी गई संपत्तियों में से एक दुकान का नाम अनिल स्वीट्स था, जहां से पुलिस को 26 फरवरी को नेगी का जला हुआ शव मिला था। पुलिस ने बताया कि नेगी दोपहर का भोजन करने और आराम करने के लिए दुकान की गोदाम पर गया हुआ था।
ये है आरोप पत्र
आरोप पत्र के अनुसार, दिल्ली के उत्तरी-पूर्वी जिले के कई हिस्सों में दंगे हुए थे। ये कर्दम पुरी, मौजपुर, चांद बाग और डीआरपी स्कूल तथा राजधानी पब्लिक स्कूल के पास शिव विहार तिराहा से शुरू हुए थे। दोपहर करीब तीन बजे मुस्लिम समुदाय की भीड़ बृजपुरी पुलिया की ओर से आयी और दंगा शुरू कर दिया।’’ उसमें कहा गया है, ‘‘दंगा कर रही भीड़ ने हिन्दुओं की संपत्ति को निशाना बनाया, जिनमें मेसर्स अनिल स्वीट्स, अनिल डेयरी, पेस्ट्री की दुकान, किताब की दुकान, डीआरपी स्कूल और मेसर्स अनिल स्वीट्स का गोदाम आदि शामिल हैं। वे देर रात तक इन संपत्तियों को आग लगाते रहे और इसी दंगाई समुदाय की भीड़ देर रात तक हावी रही।’’
यह आरोप पत्र भारतीय दंड संहिता की धारा 147 और 148 (दंगा करना और दंगा के लिये सजा), 149, 153 (ए) (धर्म, नस्ल के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच वैर को बढ़ावा देना), 302 (हत्या), 201 (अपराध का साक्ष्य मिटाना) और 34 (समान मंशा) के तहत दाखिल किया गया है।
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