कितने हिन्दू हैं पाकिस्तानी सेना में

कितने हिन्दू हैं पाकिस्तानी सेना में

60 साल तक पाकिस्तान ने किसी हिन्दू या सिख को सेना में नहीं लिया

एकात्म भारत.

पाकिस्तान हिन्दुओं और सिखो के हाल किसी से छुपे नहीं हैं। हिन्दुओं और सिखों की बेटियों को कठमुल्ले कभी भी उठा ले जाते हैं और उनका बलात निकाह करा दिया जाता है। जब इन मामलों को भारत ने विश्व मंच पर उठाया तो पाकिस्तान सरकार खुद ही अपने आप को सेक्यूलरिज्म की सर्टिफिकेट देने लगी। पाकिस्तान में हिन्दुओं और सिखों की हालत यह है कि उन्हें अनेक स्थानों पर समान अवसर नहीं हैं।

हाल यह है कि पाकिस्तानी सेना में पहले सिख को शामिल होने में 58 साल का समय लग गया और और सेना में पहला हिंदू 59 वर्ष बाद शामिल हो सका। इसके उलट भारत 1965 में पाकिस्तान के साथ युद्ध में अप्रतिम शौर्य दिखाने पर अब्दुल हमीद को युद्ध काल में देश के सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित कर चुका है।

 पाकिस्तान की सेना में शामिल होने वाले पहले सिख युवक का नाम है हरचरण सिंह जिन्होंने कैप्टन के रूप में पाकिस्तानी आर्मी ज्वाइन की थी। इसके अगले साल जून में 2006 में दानिश नाम के हिंदू युवक को पहली बार सेना में लिया गया था। दानिश को भी कैप्टन के रूप में सेना में शामिल किया गया था। लेकिन कोई भी हिंदू या सिख अधिकारी अब तक मेजर की रैंक से ऊपर नहीं जा पाया है। सेना तो छोड़िए पाकिस्तान में हाल ही में गुलाब सिंह नाम के एक सिख युवक को पहली बार ट्रैफिक पुलिस का वॉर्डन बनाया गया ।

कुछ और भी हैं

दानिश और हरचरण के अलावा पाकिस्तानी सेना में एक और हिंदू अनिल कुमार, कैप्टन के रूप में शामिल किए गए हैं। इसके बाद 2010 में अमरजीत सिंह नाम के एक और सिख युवक को पाकिस्तान सेना में रेंजर बनाया गया। इसी साल एक अन्य सिख युवक पाकिस्तानी नेवी में कोस्ट गार्ड के रूप में भर्ती हुआ था। पाकिस्तानी वायु सेना में अभी राहुल देव नामक हिंदू को पायलट ऑफिसर के रूप में भर्ती किया गया है । वे पाकिस्तानी एयरफोर्स में शामिल किए जाने वाले पहले हिंदू हैं। इनके अलावा सेना में लांस नायक के रूप में लालचंद रबारी भी भर्ती हुए थे। बाद में मंगला फ्रंट पर उनकी हत्या हो गई थी। बताया जाता है कि इनके अलावा भी पाकिस्तानी सेना में हिंदू और सिख काम कर रहे हैं लेकिन उनकी संख्या गिनी चुनी है। 

डॉ कैलाश बने हैं मेजर

पाकिस्तानी मीडिया अपने देश को सेकुलर दिखाने के लिए आर्मी में मेजर के रूप में पदस्थ डॉ कैलाश गरवडे का उदाहरण देते नहीं थकता। जैसा कि नाम से स्पष्ट है कैलाश आर्मी में डॉक्टर हैं और पाकिस्तान सेना ने उन्हें कई पुरस्कार भी दिए हैं जैसे तमगा ए दीफ़ा, तमगा ए बक़ा व तमगा ए आजम। इसके हवाले से पाकिस्तान यह साबित करने की कोशिश कर रहा है कि उसने हिंदुओं और सिखों के साथ समानता का व्यवहार किया है। लेकिन वह इस बात का जवाब नहीं देता कि पहले हिंदू को सेना में लेने में उसे 60 साल क्यों लग गए?

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