जिस मंदिर को पाकिस्तानी सरकार गिराना चाहती थी उसी के फैंके सामान से गुजारा कर रहे मुस्लिम

जिस मंदिर को पाकिस्तानी सरकार गिराना चाहती थी उसी के फैंके सामान से गुजारा कर रहे मुस्लिम

कराची के 200 वर्ष पुराने लक्ष्मीनारायण मंदिर का मामला

पाकिस्तान में हिन्दू मंदिरों के हाल किसी से छिपे नहीं हैं। आए दिन हिन्दू मंदिरों पर हमले होते हैं। हिन्दू लड़कियों के अपहरण भी आम हैं। लेकिन इसी पाकिस्तान के कराची में मुस्लिम युवाओं का घर हिन्दू मंदिर से श्रद्धालुओं के सामान से चलता है। ये मंदिर है समुद्र किनारे स्थित लक्ष्मीनारायण मंदिर। सबसे खास बात ये है कि 2012 में पाकिस्तान सरकार ने इसे गिराने की तैयारी कर ली थी।

कराची के बंदरगाह के पास नेटिव जेट्टी पुल पर स्थित श्री लक्ष्मी नाराययण मंदिर पाकिस्तान के प्रमुख हिन्दू मंदिरों में है। यहां हि्न्दू नियमित पूजा करने आते हैं । यह मंदिर हिन्दुओं के लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि समुद्र के तट पर अंतिम संस्कार ‌व अन्य अनुष्ठान भी होते हैं। इस तरह से लगातार यहां पर कुछ न कुछ धार्मिक गतिविधियां भी चलती रहती हैं।

पाकिस्तान हिंदू परिषद के रमेश वंकवानी के मुताबिक यह एकमात्र मंदिर है, जो कराची में समुद्र तट के किनारे स्थित है। हम हिंदुओं को पूजा करने के लिए नदी-समुद्र के जल की जरूरत होती है। हम हमारी परंपरा के अनुसार कई चीजों को समुद्र के पानी में प्रवाहित करते हैं। वंकवानी पाकिस्तान की सत्तारूढ़ इमरान खान की तबरीक-ए-इंसाफ पार्टी के सांसद हैं।

file photo

हिन्दू पूजा-पाठ करने के बाद  परंपरा के अनुसार कई चीजों को समुद्र के पानी में प्रवाहित करते हैं.’ जिनमें कीमती चीजें भी शामिल होती हैं । इन्ही वस्तुओं को निकालने के लिए मुस्लिम युवा समुद्र में छलांग लगाते हैं। इन वस्तुओं में खाने के सामान के सात ही रुपए के साथ ही चांदी के सिक्के भी होते हैं। स्थानीय मुस्लिम इस सामान के लिए मंदिर के आसपास ही घूमते रहते हैं। हालांकि कोरोना महामारी के चलते इस मंदिर में अभी नाममात्र के श्रद्धालु आते हैं।

2012 में हो गई थी मंदिर ढ़हाने की तैयारी कोर्ट के आदेश से बचा था

200 साल पुराने इस ऐतिहासिक मंदिर को कराची पोर्ट ट्रस्ट ने ढ़हाने की तैयारी कर ली थी। इस मामले को लेकर मंदिर में रहने वाले कैलाश विश्राम ने सिंध हाई कोर्ट में याचिका लगाई थी। इसमें उन्होंने कहा था कि कराची पोर्ट ट्रस्ट ने एक निजी कंपनी के साथ मिलकर मंदिर के पास निर्माण कार्य प्रारंभ किया है। इससे मंदिर के लिए समुद्र का जल लाने का रास्ता ब्लॉक कर दिया गया है।

याचिका में कहा गया है कि इस मंदिर का निर्माण भारतीय उपमहाद्वीप के विभाजन के बहुत पहले हो गया था। बड़ी संख्या में हि न्दू धर्मावलंबी यहां धार्मिक अनुष्ठान करने आते हैं। कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने इस मामले में सहमति जताते हुए कहा था कि यह दो सौ साल पुराना मंदिर है और यहां समुद्र किनारे बहुत से त्यौहार और धार्मिक क्रियाकलाप चलते हैं। इसके चलते कोर्ट ने आदेश दिया था कि मंदिर की बाउंड्री वॉल और भवन के साथ किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ नहीं की जा सकती है। इस मामले में कोर्ट ने अधिकारियों को निरीक्षण करके रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए थे।

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