हे भगवती गंगे! मुझे बार-बार मिल और पवित्र कर।।

हे भगवती गंगे! मुझे बार-बार मिल और पवित्र कर।।

गंगा दशहरा के पावन पर्व की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।

हरीश बरोनिया

गंगा नदी। गंगा केवल नदी नहीं, हिन्दुओं के लिए देवी। भारत में 100 करोड़ भारतीयों के लिए पूजनीय नदी गंगा। देश-दुनिया की पवित्र नदियों में से एक है गंगा। गंगा जिसका पानी अमृत है।
धार्मिक मान्यता है कि गंगा नाम के स्मरण मात्र से व्यक्ति के पाप मिट जाते हैं. आमतौर पर निर्जला एकादशी से एक दिन पहले गंगा दशहरा मनाया जाता है
वर्ष 2020 में गंगा दशहरा का यह पर्व सोमवार, 1 जून को देशभर में मनाया जाएगा। इस वर्ष कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण गंगा में भक्त डुबकी नहीं लगा पाएंगे। इस वर्ष सांकेतिक तौर पर ही इसे मनाया जाएगा।


दस शुभ योग में धरती पर आई थी मां गंगा


सृष्टि के निर्माता ब्रह्मा जी के कमंडल से राजा भागीरथ द्वारा देवी गंगा के धरती पर अवतरण दिवस को गंगा दशहरा के नाम से जाना जाता है। पृथ्वी पर अवतार से पहले गंगा नदी स्वर्ग का हिस्सा हुआ करती थीं। गंगा नदी को भारत की सबसे पवित्र नदी माना जाता है, इस कारण उन्हें सम्मान से माँ गंगा अथवा गंगा मैया पुकारते हुए माता के समान पूजा जाता है।
इस दिन भक्त, देवी गंगा के पृथ्वी पर अवतरण का धन्यवाद करने हेतु, उनकी विशेष पूजा करते हैं। तथा गंगा जी में डुबकी लगा कर स्वयं को पवित्र करते हुए दान-पुण्य, उपवास, भजन एवं गंगा आरती का आयोजन करते हैं।

गंगा जी में लगाते हैं डुबकी


गंगा दशहरा पर हजारों भक्त प्रयगराज, गढ़मुकेश्वर, हरिद्वार, ऋषिकेश, वाराणसी, पटना और गंगासागर में पवित्र डुबकी लगाते हैं।

इस दिन दशाश्वमेध घाट वाराणसी और हर की पौड़ी हरिद्वार की गंगा आरती विश्व प्रसिद्ध है। यमुना नदी के पास बसे पौराणिक शहर जैसे मथुरा, वृंदावन में भी भक्त यमुनाजी (यमुना नदी) को गंगा मैया मानकर स्नान करते हैं।
स्थानीय भक्तों द्वारा लस्सी, शरबत, ठंडाई, ठंडा पानी एवं शिकंजी जैसे पेय पदार्थ तथा जलेबी, मालपुआ, खीर और फल तरबूज जैसी मिठाइयाँ भी वितरित की जाती हैं। कुछ स्थानों पर आज के दिन पतंग उड़ाकर उत्सव मनाया जाता है।

वैज्ञानिक भी गंगा के पानी पर हैरान


गंगा के निर्मल जल पर लगातार हुए शोधों से भी गंगा विज्ञान की हर कसौटी पर भी खरी उतरी विज्ञान भी मानता है कि गंगाजल में कीटाणुओं को मारने की क्षमता होती है जिस कारण इसका जल हमेशा पवित्र रहता है। यह सत्य भी विश्वव्यापी है कि गंगा नदी में एक डुबकी लगाने से सभी पाप धुल जाते हैं। हिन्दू धर्म में तो गंगा को देवी माँ का दर्जा दिया गया है। यह माना जाता है कि जब माँ गंगा का स्वर्ग से पृथ्वी पर अवतरित हुई तो वह ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि थी, तभी से इस तिथि को गंगा दशहरा के रूप में मनाया जाता है।


गंगा नदी किनारे बसे शहरों का गंदा पानी मिलता रहता है। इसे साफ करने के लिए गंगा संरक्षण मंत्रालय भी बनाया गया। गंगा को निर्मल करने में अरबों रूपए खर्च किए गए, लेकिन गंगा का पानी साफ नहीं हुआ। इसके बाद भी इस पानी के आचमन के लिए भक्त लालायित रहते हैं। पिछले दो महीने के लॉक डाउन में गंगा नदी का पानी बिल्कुल साफ नजर आता है जैसे आजादी के समय था।

यह है शुभ योग


कहा जाता है कि जिस दिन माँ गंगा पृथ्वी पर अवतरित हुई उस दिन एक बहुत ही अनूठा और भाग्यशाली मुहूर्त था। उस दिन ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि और वार बुधवार था, हस्त नक्षत्र, व्यतिपात योग, गर योग, आनंद योग, कन्या राशि में चंद्रमा और वृषभ में सूर्य। इस प्रकार दस शुभ योग उस दिन बन रहे थे। माना जाता है कि इन सभी दस शुभ योगों के प्रभाव से गंगा दशहरा के पर्व में जो भी व्यक्ति गंगा में स्नान करता है उसके ये दस प्रकार के पाप नष्ट हो जाते हैं।


यह पाप होते हैं नष्ट
बिना आज्ञा या जबरन किसी की वस्तु लेना
हिंसा
पराई स्त्री के साथ समागम
कटुवचन का प्रयोग
असत्य वचन बोलना
किसी की शिकायत करना
असंबद्ध प्रलाप
दूसरें की संपत्ति हड़पना या हड़पने की इच्छा
दूसरें को हानि पहुँचाना या ऐसे इच्छा रखना
व्यर्थ बातो पर परिचर्चा


कैसे करें गंगा की पूजा गंगा दशहरे पर


संभव हो तो गंगा मैया के दर्शन कर पवित्र जल में स्नान करें। स्नानादि के बाद मां गंगा की प्रतिमा की पूजा करें। इनके साथ राजा भागीरथ और हिमालय देव की भी पूजा-अर्चना करनी चाहिए। गंगा पूजा के समय प्रभु शिव की आराधना विशेष रूप से करनी चाहिए क्योंकि भगवान शिव ने ही गंगा जी के वेग को अपनी जटाओं पर धारण किया। पुराणों के अनुसार राजा भागीरथ ने माँ गंगा को स्वर्ग से पृथ्वी पर लाने के लिए बहुत तपस्या की थी। भागीरथ के ताप से प्रसन्न होकर माँ गंगा ने भागीरथ की प्रार्थना स्वीकार की किन्तु गंगा मैया ने भागीरथ से कहा -पृथ्वी पर अवतरण के समय मेरे वेग को रोकने वाला कोई चाहिए अन्यथा मैं धरातल को फाड़ कर रसातल में चली जाऊँगी और ऐसे में पृथ्वीवासी अपने पाप कैसे धो पाएंगे।


राजा भागीरथ ने माँ गंगा की बात सुनकर प्रभु शिव को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की। भागीरथ की तपस्या से प्रसन्न होकर प्रभु शिव ने गंगा माँ को अपने जटाओं में धारण किया। पृथ्वी पर अवतरण से पूर्व माँ गंगा ब्रहमदेव के कमंडल में विराजमान थी अत: गंगा मैया पृथ्वी पर स्वर्ग की पवित्रता साथ लेकर आई थी।


गंगा मैया के मंत्र


‘नमो भगवते दशपापहराये गंगाये नारायण्ये रेवत्ये शिवाये दक्षाये अमृताये विश्वरुपिण्ये नंदिन्ये ते नमो नम:

भावार्थ
हे भगवती, दसपाप हरने वाली गंगा, नारायणी, रेवती, शिव, दक्षा, अमृता, विश्वरूपिणी, नंदनी को नमन।।

‘ ओम् नमो भगवति हिलि हिलि मिलि मिलि गंगे माँ पावय पावय स्वाहा’

भावार्थ

हे भगवती गंगे! मुझे बार-बार मिल और पवित्र कर।।

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