![कितने मुस्लिम पुरुष हैं जो हिन्दू महिला के प्रेम में हिन्दू बने?](https://ekatmabharat.com/wp-content/uploads/2020/11/muslim-girl-with-tilak.jpg)
कितने मुस्लिम पुरुष हैं जो हिन्दू महिला के प्रेम में हिन्दू बने?
भाजपा के एक नेता हैं, जो कि मोदी सरकार में विदेश राज्यमंत्री थे। पत्रकार भी हैं। उनका नाम है एम जे अकबर। मी टू में लगे गंभीर आरोपों के बाद उन्हें पद छोड़ना पड़ा था। क्या आपकों पता है कि एमजे अकबर हिन्दू थे लेकिन उनके दादाजी ने एक मुस्लिम महिला के इश्क में इस्लाम स्वीकार किया था। अकबर का पूरा नाम मुबाशिर जावेद अकबर है और इश्क मेंं इस्लाम स्वीकार करने वाले उनके दादा को रहमतुल्ला के नाम से जाना जाता है। खास बात ये है कि रहमतुल्ला का नाम मुस्लिम बनने से पहले प्रयाग था।
एमजे अकबर ने इसके चलते अपने बेटे का नाम प्रयाग रखा है। खैर यहां अकबर के दादाजी के बारे में बात करने का समय नहीं है। हम बात कर रहे है कि इश्क में इस्लाम स्वीकार करना कौन सी मजबूरी है?
भारतीय फिल्मों की सबसे सुंदर अभिनेत्री मधुबाला यानी बेगम मुमताज जहां देहलवी से शादी करने के लिए किशोर कुमार भी अब्दुल्ला बने थे। उन्होंने भी इश्क में कलमा पढ़ा था जबकि प्रेम तो मधुबाला को भी था और वो सुहागन मरना चाहती थीं। इसके चलते जल्दी शादी करना चाहती थीं।
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यानी परिस्थितियां कोई भी हो यदि इश्क है किसी मुस्लिम से, चाहे लड़का हो या लड़की, उसे इस्लाम स्वीकार करना पड़ेगा। हालांकि ऐसी बहुत से शादियां हैं जिनमें मुस्लिम लड़कियों ने हिन्दू लड़कों से हिन्दू बनकर शादी की है। लेकिन ऐसी कितनी शादियां हैं जिसमें मुस्लिम लड़के किसी हिन्दू लड़की के प्यार में हिन्दू बन गए?
लेकिन कानून का शादी को नापने का एक ही तरीका है वो है बालिग होना। यदि आप बालिग हैं तो कुछ भी कर सकते हैं। लेकिन यहां प्रश्न यह है कि क्या बिना माता-पिता के कष्ट उठाए बच्चे बालिग हो जाते हैं?
दरअसल यह पाश्चात्य कानून का “बालिग” असर ही है जिसके चलते हमारे देश में वृद्धाश्रम खुल रहे हैं। क्या आपने कभी इतिहास में तरह के किसी स्थान के बारे में सुना है?
कोई रहमत हिन्दू लड़की को रिझाने के लिए राहुल नाम बता देता है लेकिन राहुल बनता नहीं है। वहीं कोई किशोर किसी मुमताज जहां के लिए कलमा पढ़कर अब्दुल्ला बन जाता है। बताइए किस रिश्ते में प्यार है?
आपको झारखंड की तीरंदाज तारा शाहदेव का मामला याद है। एक अंतरराष्ट्रीय स्तर की महिला तीरंदाज ने जिस व्यक्ति को हिन्दू समझकर शादी की थी वो मुस्लिम निकला था। मामले को पांच साल से ज्यादा का समय हो चुका है। पिछले साल इस मामले में सीबीआई ने जांच के बाद चार्जशीट फाइल की है। यानी तारा को न्याय के लिए अभी कुछ और इंतजार करना है।
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फिर भी कुछ लोगों को समस्या है कि लव जिहाद के लिए कानून क्यों बनाया जा रहा है। जिस प्रेम में लड़का अपनी पहचान छुपाता हो वो प्रेम है या फिर षड्यंत्र? उत्तर प्रदेश की सरकार ने मंगलवार को लव जिहाद के मामले में अध्यादेश लागू किया है। इसका स्वागत होना चाहिए। लेकिन इसके उलट आरेफा खानम शेरवानी जैसी पत्रकारों का सवाल है कि आखिर सरकार को हिन्दू मुस्लिम शादी में क्यों इतनी रुचि है?
यानी एक महिला होने के बावजूद रहमान का हिन्दू महिला को अपने जाल में फसाने के लिए राहुल बनना आरेफा खानम शेरवानी के लिए कोई मामला नहीं हैं? वंदे मातरम बोलने से जिनका धर्म खतरे में आ जाता हो उन्हें इस झूठ में कुछ भी गलत दिखाई नहीं देता है?
चाहिए निर्भया की तरह महिलाओं के पक्ष में कानून
दिल्ली के निर्भया कांड के बाद बलात्कार और महिलाओं से छेड़छाड़ के मामलों को लेकर नई गाइडलाईन जारी की गई थी। इसमें महिलाओं को कईं अधिकार दिए गए थे। इसी तरह अंतर धार्मिक विवाह के मामले में भी नया कानून बनाया जाना चाहिए। इस कानून में यह व्यवस्था की जानी चाहिए कि दूसरे धर्म की महिला से शादी करने वाले पुरुषों को अनिवार्य रूप से महिला का धर्म स्वीकार करना पड़ेगा।
ऐसा दो कारणों से महत्वपूर्ण है, पहला तो यह कि अधिकांश मामलों में अंतरधार्मिक विवाह करने वाली महिला से उसके माता-पिता और रिश्तेदार संबंध तोड़ लेते हैं इसके चलते महिला पूरी तरह से पति पर निर्भर हो जाती है। ऐसे में इस्लाम में चार विवाह की छूट से उस महिला का जीवन बर्बाद होता है और दूसरा यह कि समाज में महिलाओं की स्थिति को देखते हुए हर परिस्थिति में धर्म परिवर्तन पुरुष को ही करना चाहिए।
ऐसा करके तो देखिए सारी टोपियां अंदर हो जाएंगी और और बुरखे बाहर आ जाएंगे तब पता चलेगा प्यार का असली मतलब भी।
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