इस्लाम के प्रचारक हैं ये क्रिकेटर..

इस्लाम के प्रचारक हैं ये क्रिकेटर..

और कोहली ने कहा था कि क्या मैं पूजा पाठ करने वाला लगता हूं ?

मोईन अली, हाशिम अमला और इमरान ताहिर। इनमें क्रिकेट के अलावा क्या समानताएं हैं? इनमें समानताएं खोजने के लिए आपको दिमाग पर ज्यादा जोर डालने की जरुरत नहीं है। इनके फोटो देखिए और आपको इनमें समानताएं समझ में आ जाएंगी। तीनों बिना मूंछ की दाढ़ी रखते हैं जबकि तीनों गैर मुस्लिम देशों की ओर से क्रिकेट खेलते हैं।

अब जरा इनकी तुलना क्रिकेट खेलने वाले मुस्लिम देशों पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के खिलाड़ियों से कीजिए। इन टीमों का कोई भी खिलाड़ी इस तरह की दाढ़ी मूंछ नहीं रखता है जबकि ये तीनों देश इस्लामिक देश हैं। आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों?

इसका सीधा सा जवाब है कि मुस्लिम देशों की ओर से खेलने वाले क्रिकेटर यदि इस तरह का गैटअप रखते तो इस्लाम का उतना सशक्त संदेश नहीं जाता जितना कि इंग्लैंड और साउथ अफ्रीका जैसे गैर मुस्लिम देशों नें रहने वाले क्रिकेटर्स के इस्लामिक गेटअप रखने से जाता है। किस्सा यहीं खत्म नहीं होता। यह मामला विराट कोहली की चर्चा के बिना मामला अधूरा लगेगा।

2016 में मैच के बाद हुई पत्रकार वार्ता में कोहली से पूछा गया था कि वह दबाव के हालात में संयम बनाये रखने के लिये क्या पूजा पाठ या ध्यान करते हैं तो विराट कोहली ने हंसते हुए इस सवाल का जवाब दिया और कहा कि क्या मैं पूजा पाठ करने वाला लगता हूं? विराट ने कहा कि मैं शुरू से टैटू लगाने वाला लड़का था जो स्टायलिश कपड़े पहनता था।

इस्लाम पहले फिर इंगलैंड

इसके उलट मोईन अली ने कहा था कि उनके लिए पहले इस्लाम आता है कि उसके बाद इंगलैंड। यहां तक कि मोइन के लिए वारसेस्टरशायर काउंटी ने नमाज के अलग कमरे की व्यवस्था की है इतना ही नहीं काउंटी के मैनेजमेंट उनके रोजे के लिए भी बंदोबस्त करता है। वे और टीम में उनके एक और साथी आदिल रशीद इंगलैंड की टीम के जीत के जश्न में आमतौर पर शामिल नहीं होते क्योंकि इसमें शैंपेन और शराब पी जाती है। इंगलैंड के विश्व कप जीतने के बाद होने वाली पार्टी में भी ये दोनों शामिल नहीं हुए थे।

कश्मीरी है अली

मोईन अली पाक अधिकृत कश्मीर के रहने वाले हैं। उनके दादा मीरपुर से इंगलैंड गए थे और वहां उन्होंने एक ब्रिटिश महिला बैटी कॉक्स से शादी की थी। मोईन के पिता लंदन में टैक्सी चलाते थे। वे लंदन के उस इलाके में रहते थे जहां पर ज्यादातक मुस्लिम रहते थे। क्रिकेटर कबीर अली, रावेत खान और नक्काश ताहिर भी इसी इलाके में रहते थे।

फिलीस्तीन के समर्थन में रिस्ट बैंड पहना था

मोईन अली अपने इस्लामिक एजेडें को कभी नहीं छोड़ते हैं। 2014 में भारत के खिलाफ खेले गए टेस्ट मैच के दौरान उन्होंने दो रिस्ट बैंड पहने थे जिन पर लिखा था “Save Gaza” and “Free Palestine”। जबकि आईसीसी का नियम है कि कोई भी खिलाड़ी मैच के दौरान कोई राजनीतिक संकेत नहीं देगा। इस मामले में मैच रेफ्री डेविड बून ने उन्हें दोषी माना था लेकिन इंगलैंड क्रिकेट बोर्ड (ECB) ने मोईन को यह कहते हुए क्लीन चिट दी थी कि उनका “Save Gaza” and “Free Palestine” का संदेश राजनीतिक नहीं मानवीय था।

गुजराती हैं हाशिम अमला

बिना मूंछ की दाढ़ी रखने वाले दूसरे क्रिकेटर हैं दक्षिण अफ्रीका के हाशिम अमला। अमला ने अपने पूरे परिवार को समर्पित मुस्लिम के रूप में ही पेश किया है। दक्षिण अफ्रीका के कप्तान होने के बाद भी उनकी पत्नी हमेशा बुरखे में ही देखी गई। हालांकि उनके साथ कोई विवाद नहीं जुड़ा है। हां टेन स्पोर्ट्स के कमेंटेटर डीन जोंस जरुर एक मैच के दौरान जब हाशिम अमला ने कैच पकड़ा था तो कहा था कि आतंकवादी ने एक विकेट और ले लिया।

अचानक उग आई थी ताहिर की दाढ़ी

इस सूची में शामिल तीसरे खिलाड़ी हैं इमरान ताहिर। वे पाकिस्तानी हैं और अंडर-19 क्रिकेट में पाकिस्तान की ओर से विश्व कप में खेल चुके हैं। ताहिर ने लाहौर के शॉपिंग मॉल में नौकरी भी की और बाद में क्रिकेट खेलने अफ्रीका चले गए। पांच साल तक वहां घरेलू क्रिकेट खेलने के बाद वे अफ्रीका की टीम में जगह बना पाए। अपने क्रिकेट कॅरियर के शुरुआती समय में ताहिर क्लीन शेवन हुआ करते थे लेकिन बाद में अचानक इस्लामिक दाढ़ी में दिखाई देने लगे। शुरुआत में वे अपनी भारतीय मुस्लिम पत्नी सुमैया दिलदार के साथ आधुनिक परिधानों में दिखाई देते थे

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