जब स्कूल के सहपाठियों के साथ सावरकर ने किया था मस्जिद पर हमला

जब स्कूल के सहपाठियों के साथ सावरकर ने किया था मस्जिद पर हमला

साप्रदायिक हिंसा में हिन्दुओं पर हो रहे हमलों से वे नाराज थे कि हिन्दू जवाब क्यों नहीं दे रहे

मुंबई

वीर सावरकर जब स्कूल में पढ़ते थे उस समय मुंबई प्रेसीडेंसी में हिन्दुओं और मुस्लिमों के बीच सांप्रदायिक तनाव चरम पर था। आए दिन मंदिर और मस्जिद को अपवित्र किए जाने की घटनाएं होती थीं और इसके बाद सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठती थी। यह 1890 की बात है।

सावरकर के मन हिन्दुत्व का भाव जगाने के पीछे अप्रत्याक्ष रूप से बाल गंगाधर तिलक का योगदान था। सावरकर बचपन से ही अपने मित्रों के साथ तिलक के समाचार पत्र केशरी को पढ़ा करते थे। इसमें हिन्दुओं पर हमले के समाचार प्रमुखता से प्रकाशित होते थे। ये समाचार पढ़कर सावरकर बहुत गुस्सा होते थे। वे इस बात से नाराज होते थे कि हिन्दू समुदाय अपने विरुध्द होने वाली हिंसा का उत्तर क्यों नहीं देता है?

उस समय सांप्रदायित ध्रुवीकरण इतना था कि गणपति समारोह पर हमले हो जाते थे तो कहीं मस्जिद में सुअर मारकर फेंक दिया जाता था। यहां तक कि मंदिरों में भी गौहत्या हो जाती थीं। मुसलमानों को हिन्दू त्योहारों पर मस्जिदों के बाहर होने वाले गीत संगीत से भी उन्हें आपत्ति होती थी। इस तरह से पूरा क्षेत्र सांप्रदायिक तनाव में था।

ये थी घटना

6 फरवरी 1894 कौ नासिक के येवला की मस्जिद में कथित रूप से सुअर का कटा हुआ सिर फेंक दिया गया था। इसके बाद बदले में मंदिर में गौहत्या के समाचार मिले। सुरक्षा बढ़ाई गई लेकन इसके बाद भी दंगे भड़क गए और इसमें चार लोगों की जान चली गई।

इस घटना के समाचार पढ़ने के बाद सावरकर को बहुत गुस्सा आया। उन्होंने अपने स्कूल के मित्रों के साथ मिलकर एक मस्जिद पर हमला करने की योजना बनाई। योजनानुसार एक मस्जिद पर हमला बोला गया। इससे मस्जिद तो नुकसान भी पहुंचा। सावरकर अपने साथियों के साथ मौके से फरार हो गए।

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जब मस्जिद पर हमले की जानकारी साववकर के साथ पढ़ने वाले मुस्लिम छात्रों को लगी तो वे सावरकर पर नाराज हुए। इसके बाद तनाव इतना बढ़ गया कि स्कूल भी कुछ समय के लिए बंद करना पड़ा। इस तरह से इस घटना को सावरकर के जीवन का महत्वपूर्म मोड़ माना जाता है।

पुस्तक में लिखी है ये घटना

ये घटना सावरकर पर विक्रम संपत द्वारा लिखी गई पुस्कर सावरकर में लिखा गया है। इस पुस्तक को पेंग्विन रैंडम हाउस इंडिया ने प्रकाशित किया है। इस पुस्तक में सावरकर के जीवन से जुड़ीं कई घटनाओं का उल्लेख किया गया।

सावरकर प्रखर हिन्दुवादी माने जाते हैं। आज उनकी जयंती है। पिछले वर्ष हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपा ने उन्हें भारत रत्न दिलाने की मांग को अपने घोषणा पत्र में भी शामिल किया था लेकिन भाजपा के सत्ता में न आने से यह मांग पूरी नहीं हो सकी है।

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