ये है अयोध्या का नया मॉडल

ये है अयोध्या का नया मॉडल

कोसल की राजधानी की तरह होगा अयोध्या का विकास, योगी सरकार ने की तैयारी

51 फीट की भगवान राम की मूर्ति और वेदों के अनुसार बनेंगे अलग-अलग सेक्टर

अयोध्या
अयोध्या को प्रवेश द्वार पर अभी भी यह अंकित है “प्रविसि नगर कीजै सब काजा, हृदय राखि कोसलपुर राजा…” अब इस चौपाई से प्रेरणा लेते हुए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार अयोध्या को कोसल की राजधानी के समान विकसित करने की तैयारी कर रही है।
योगी सरकार द्वारा तैयार की गई नई योजना के अनुसार अयोध्यानगरी की ‘नई’ सीमाओं पर 10 बड़े द्वार बनेंगे। नई का अर्थ है कि हाल ही में अयोध्या नगर निगम की सीमाओं का विस्तार किया गया है। और 14 कोसी परिक्रमा मार्ग के सभी गांव अब नगर निगम की परिधि में आ गये हैं।


अयोध्या की नगर निगम में वहां की संपूर्ण सांस्कृतिक सीमा को सम्मिलित कर लिए जाने के बाद अब विकास का नया मॉडल शीघ्र आकार लेता दिखेगा। प्रशासन इसकी तैयारी में जुट गया है।
अब तक फैजाबाद व अयोध्या नगर पालिका को मिलाकर बने अयोध्या नगर निगम का दायरा छोटा था। इसमें वैदिक व रामायण कालीन स्थलों-दृश्यों समेत नव्य अयोध्या का आधुनिक खाका नहीं समा पा रहा था। इसके चलते सोमवार को कैबिनेट की बैठक में अयोध्या नगर निगम की सीमा में 41 गांवों को शामिल करने का प्रस्ताव रखा गया था।
इससे अब तक भूमि अधिग्रहण में ग्रामसभाओं की ओर से जो पेच अटकाए जा रहे थे। अब 41 गांवों के शामिल किए जाने से गंजा गांव में 6 अरब 40 रोड़ 26 लाख 96 हजार 501 रुपये में प्रस्तावित श्रीरामचंद्र एयरपोर्ट शहर का हिस्सा होगा। हाइवे किनारे मांझा बरेहटा में विश्वस्तरीय आधुनिक बस टर्मिनल भी नगर की सीमा में आ गया है।


इसके बाद अब इससे सटे नव्य अयोध्या योजना के पहले चरण में दो सौ हेक्टेयर भूमि में प्राधिकरण की ओर से नया नगर बसाने की योजना भी साकार हो सकेगी। वाराणसी की तरह ही अयोध्या के गुप्तारघाट पर वाटर वेज टर्मिनल बनाने में गुप्तारघाट से 30 किमी. सरयू घाट नगर व प्राधिकरण के दायरे में आ गये हैं।
ग्राम सभा मीरापुर दोआबा भी नगर निगम सीमा आने से 251 मीटर विश्व की सबसे ऊंची श्रीराम प्रतिमा के लिए यहां शुरू हुआ भूमि अधिग्रहण आसान होगा, वहीं किसानों को भी उनकी भूमि के नगरीय सीमा में आने का लाभ मिलेगा।


भगवान राम के जीवन पर आधारित एक 13 किलोमीटर लंबा श्रीराम कॉरिडोर भी बनाए जाने का प्रस्ताव है जो नगर का नए रूप के दर्शन कराएगा। यानी कि केवल इस कॉरिडोर पर घूम लेने से आपको अयोध्या की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत के दर्शन हो सकेंगे। यही नहीं धर्मनगरी में विदेशी पर्यटकों को लुभाने के लिए फाइव स्टार होटल-रेस्टोरेंट और रिसॉर्ट भी बनेेंगे। अब 41 राजस्व गांवों को शामिल करने के बाद 14 कोसी सांस्कृतिक सीमा से जुड़े सभी गांव समाहित होने के साथ कोसल देश की राजधानी जैसा अयोध्या के विस्तार की संभावनाएं बन गईं हैं। मुख्यमंत्री ने हर दौरे में यहां के संत-धर्माचार्य व राजनीतिक-सामाजिक लोग हमेशा अयोध्या नगर की छोटी सीमा की टीस प्रस्तुत करते थे। अब सर्वधर्म समभाव के स्थलों समेत वैदिक काल से लेकर महाकाव्य काल के चित्रण और उसके भावभूमि से पर्यटकों को परिचित कराने की तैयारी है।


इसके लिए ऑडियो-विजुअल माध्यमों का भी इस्तेमाल किया जाएगा। सूत्र बताते हैं कि अयोध्या में प्रवेश करते ही हर तरफ से 10 बड़े द्वार होंगे जबकि, पहले एकमात्र गेट उदया चौराहे पर था। दूसरा नया घाट पर सपा सरकार में बंदरबांट का शिकार हो गया, जिसे अब ढहाने की तैयारी है। परियोजना का खाका तैयार करने में जुटे अफसरों का कहना है कि शासन के निर्देश पर एजेंसियां सर्वे कर रही हैं।
वैदिक सेक्टर बनाकर विकास होगा। जिसमें चारों वेदों ऋगवेद, सामवेद, यजुर्वेद और अर्थववेद के काल क्रम के अनुसार सेक्टर बनाए जाएंगे। इसमें तत्कालीन परंपराओं के अनुसार प्रमुख ऋचाओं का अंकन, उनके भावार्थ, श्रृत परंपरा को भी दिखाया जाएगा।


इसके बाद 10 प्रमुख उपनिषदों, प्रमुख पुराणों का उनके काल क्रम के अनुसार सेक्टर बनाया जाएगा, जिससे लोग उसके ऐतिहासिक और आध्यात्मिक पक्ष से रूबरू हो सकें। यहां रामायण और महाभारत दोनों ही महाकाव्यों की अहम घटनाओं व पक्षों को दर्शाती अलग गैलरी होगी।
प्रस्तावित कार्य योजना में भगवान राम के जीवन चरित्र के प्रारंभिक प्रसंगों को अलग और रोचक ढंग से प्रदर्शित करने की तैयारी है। इसमें बाललीला, महर्षि विश्वामित्र के आश्रम में राम-लक्ष्मण के जाने, शिक्षा ग्रहण, ताड़का वध से लेकर जानकी विवाह तक की घटनाओं को ऐम्फिथिएटर और गैलरी में एनिमेशन फिल्मों के जरिए लगातार प्रदर्शित किया जाएगा।


इसके साथ ही परिसर में सप्त ऋषियों के आश्रम, वैदिक गुरुकुल परंपरा को प्रदर्शित करने वाले मॉडल विकसित किए जाएंगे। रामायण में संदर्भित वनों और सरोवरों के नाम पर इस क्षेत्र में अरण्य व सरोवर भी विकसित किए जाने का प्रस्ताव है। परिसर में वैदिक रिसर्च सेंटर भी बनाया जाएगा। इस तरह से अयोध्या को अपने धर्मिक इतिहास और संस्कृति से जोड़कर अदभूत पर्यटन नगरी बनाने की तैयारी की जा रही है।

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