विहिप के अभियान से पांच हजार दलित बनें मंदिरों में पुजारी

विहिप के अभियान से पांच हजार दलित बनें मंदिरों में पुजारी

अकेले तमिलनाडु में ही ढ़ाई हजार पुजारी, तिरुपति बालाजी मंदिर ने भी दिया प्रमाण पत्र

नई दिल्ली.

विश्व हिन्दू परिषद के प्रयासों से अब देश में पांच हजार दलित पुजारी हैं। इन सभी के पास पुरोहित होने का प्रमाण पत्र है और इनमें से अधिकांश सरकारी नियंत्रण वाले मंदिरों की पूजा अर्चना भी कर रहे है। यह जानकारी विहिप के प्रवक्ता विनोद बंसल ने दी है। बंसल ने बताया कि हमारा सामाजिक समरसता का अभियान लगातार चल रहा है और इसके चलते आने वाले समय में यह संख्या और भी आगे बढ़ेगी।

इस मामले में महत्वपूर्ण यह है कि सर्वाधिक दलित पुजारी दक्षिण के राज्यों में हैं। अकेले तमिलनाडु में ही ढ़ाई हजार दलित पुजारी हैं। इसके बाद आंध्र का नंबर आता है। खास बात यह है कि तमिलनाडु में छुआछूत को लेकर बड़े पैमाने पर धर्मांतरण हुए थे। ऐसे में वहां पर ढ़ाई हजार दलितों का पुजारी बनना बड़ी उपलब्धि है।

विहिप ने किया है प्रशिक्षित

बंसल ने बताया कि इन पुजारियों को दलित पुजारियों को तैयार करने वाले इस अभियान को चलाने के लिए VHP में दो विभाग काम करते हैं। अर्चक पुरोहित विभाग और सामाजिक समानता विभाग मिलकर इस पूरे अभियान को चला रहे हैं। धर्म-कर्म में रुचि रखने वाले दलितों को पूरे विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने की विधि सिखाई जाती है, फिर उन्हें प्रमाणपत्र भी दिया जाता है।

विश्व हिंदू परिषद का कहना है कि सामाजिक समानता की दिशा में यह अभियान लगातार चल रहा है। विश्व हिंदू परिषद ‘हिंदू मित्र परिवार योजना’ और ‘एक मंदिर, एक कुआं, एक श्मशान-तभी बनेगा भारत महान’ की योजना पर भी लगातार काम कर रहा है। दक्षिण भारत के दलित पुजारियों को आंध्र प्रदेश में स्थित तिरुपति बालाजी मंदिर  की ओर से सर्टिफिकेट मिला है। यह सर्टिफिकेट धार्मिक कार्यों को सफलतापूर्वक सीखने के बाद उन्हें मिला है।

विहिप प्रवक्ता विनोद बंसल

राम मंदिर का शिलान्यास भी दलित से कराया

साल 1964 में स्थापना के पांच साल बाद से ही संगठन देश से अस्पृश्यत दूर करने की दिशा में काम कर रहा है। कर्नाटक के उडुपी में साल 1969 में हुए धर्म संसद (Religions Parliament) में अस्पृश्यता या छुआछूत दूर करने का संकल्प लिया गया था। उस दौरान संतों ने देश को ‘न हिन्दू पतितो भवेत’ का संदेश दिया था. जिसका मतलब था कि सभी हिंदू भाई-भाई हैं, कोई दलित नहीं है।

यह प्रयास लंबे समय से चल रहे हैं। 1994 में काशी में हुई धर्म संसद में डोम राजा (Dom Raja) को निमंत्रण देने के लिए VHP के अधिकारी और संत गए थे। उन्होंने डोम राजा के घर प्रसाद लिया था. VHP के निमंत्रण पर धर्म संसद में पहुंचे डोम राजा को बीच का आसन देकर माल्यार्पण कर स्वागत किया गया था।

इसके पहले नवंबर 1989 को राम मंदिर का शिलान्यास भी VHP ने दलित कामेश्वर चौपाल के हाथों कराकर उस समय सामाजिक समानता का संदेश दिया था। राम मंदिर निर्माण के लिए बने ट्रस्ट में भी कामेश्वर चौपाल को जगह दी गई है।

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