जाओ अटल दुनिया को बताओ कि श्यामा प्रसाद ने कश्मीर में परमिट सिस्टम तोड़ दिया है

जाओ अटल दुनिया को बताओ कि श्यामा प्रसाद ने कश्मीर में परमिट सिस्टम तोड़ दिया है

और अटलजी नमक के ट्रक में बैठकर दिल्ली के लिए भागे

देश के सबसे युवा कुलपति शिक्षाविद के रूप में ख्याति और केंद्र सरकार के उद्योग मंत्री। डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के पास क्या नहीं था। लेकिन इन सब के साथ उनकी आंखों में अखंड भारत का एक अद्भुत सपना था। कश्मीर के भारत में पूर्ण विलय का सपना। इसी सपने के लिए संघर्ष करते हुए आज ही के दिन 1953 में कश्मीर की जेल में संदिग्ध परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हो गई थी। वे जिस परमिट सिस्टम के खिलाफ बिना परमिट के कश्मीर में घुसे थे वह सिस्टम तो उनके निधन के 6 साल बाद 1959 में समाप्त हो गया। लेकिन विभाजन कार्य धारा 370 को हटाने में 67 बरस का समय लग गया।

5 अगस्त 2019 को धारा 370 भी समाप्त हो गई और कश्मीर, भारत बन गया। माना कि पाक अधिकृत कश्मीर के भारत में शामिल होने तक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के सपने को अधूरा ही माना जाएगा। लेकिन 67 बरस में जो इस देश की सरकार नहीं कर पाई वह कम से कम पिछले 6 बरस में हुआ। 

नेहरू और शेख अब्दुल्ला की देन था परमिट सिस्टम

कश्मीर के राजा हरी सिंह द्वारा भारत में विलय पर हस्ताक्षर कर दिए जाने के बाद भी तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने कश्मीर के प्रधानमंत्री शेख अब्दुल्ला के साथ एक समझौता किया। इसी समझौते में न केवल धारा 370 का जन्म हुआ था बल्कि कश्मीर में परमिट सिस्टम लागू हुआ था। इसके खिलाफ कश्मीर में प्रेमनाथ डोगरा के नेतृत्व में एक आंदोलन चल रहा था। परमिट सिस्टम की सहमति दिए जाने से डॉक्टर मुखर्जी प्रसन्न नहीं थे। उनका मानना था कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और उसे उसी रूप में भारत में शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने कश्मीर में बिना परमिट के प्रवेश करने की घोषणा की और इसके लिए निकल पड़े। अटल बिहारी वाजपेई भी उनके साथ थे।

कश्मीर पुलिस की गोली से मरे कईं युवा

उस समय प्रजा परिषद कश्मीर में तिरंगा यात्रा निकाल रही थी और इन यात्राओं पर कश्मीर पुलिस की गोलीबारी से कई राष्ट्रवादी युवाओं की मौत भी हुई थी। इससे डॉक्टर मुखर्जी बहुत व्यथित थे। जम्मू कश्मीर के प्रवेश द्वार लखनपुर से उन्होंने कश्मीर में घुसने की कोशिश की वही गिरफ्तार कर लिया गया। उन्होंने अटल जी से कहा कि, जाओ अटल, दुनिया को बताओ कि श्यामा प्रसाद ने परमिट सिस्टम तोड़ दिया है। गिरफ्तारी से बचने के लिए अटल जी वहां से नमक के ट्रक में बैठकर निकले। ट्रक ने उन्हें भदरवा छोड़ा। वहां से अटल जी ने हिमाचल प्रदेश का रास्ता पकड़ा और दिल्ली लौटे। 

उधर डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी को कश्मीर की जेल में बंद कर दिया गया जहां 44 दिन बाद 23 जून 1953 को संदिग्ध परिस्थितियों में उनकी मौत हो गई।

उस समय लगा था कि धारा 370 लंबे समय तक नहीं रहेगी

 जम्मू कश्मीर के पहले मुख्यमंत्री जी एम सादिक के पुत्र इफ्तिकार सादिक डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी को याद करते हुए बताते हैं कि उनकी गिरफ्तारी के बाद उन्हें एक दिन हमारे ही घर में रखा गया था। मैं उस समय बहुत छोटा था लेकिन मैंने उन्हें मेरे दादा जी से बात करते हुए देखा। इफ्तिखार सादिक बताते हैं कि उसी समय कश्मीरी लोगों को लग गया था कि धारा 370 बहुत लंबे समय तक नहीं रहेगी। हालांकि तत्कालीन सरकारों द्वारा पहल न किए जाने के चलते धारा 370 को समाप्त करने में 67 बरस का समय लग गया। 

डॉक्टर मुखर्जी को सच्ची श्रद्धांजलि तभी मिलेगी जब की गिरगिट और बाल्टिस्तान को भारत में शामिल किया जाएगा और दुनिया में पाक अधिकृत कश्मीर नामक जगह का नामो निशान मिट जाएगा। 

ये भी पढ़ें : माता पिता के सामने आयेशा ने हिन्दू धर्म अपनाकर हिन्दू युवक से विवाह किया

ekatma

Related Posts

पाकिस्तानी हिन्दुओं को क्यों हर दिन होता है हिन्दू होने पर पछतावा

पाकिस्तानी हिन्दुओं को क्यों हर दिन होता है हिन्दू होने पर पछतावा

राष्ट्र निर्माण की धुरी है यह भव्य राम मंदिर

राष्ट्र निर्माण की धुरी है यह भव्य राम मंदिर

अटलजी की कविता : दूध में दरार पड़ गई

अटलजी की कविता : दूध में दरार पड़ गई

कितने मुस्लिम पुरुष हैं जो हिन्दू महिला के प्रेम में हिन्दू बने?

कितने मुस्लिम पुरुष हैं जो हिन्दू महिला के प्रेम में हिन्दू बने?

Recent Posts

Recent Comments

Archives

Categories

Meta